Book Title: Jain Tattvika Paramparao me Swarup Moksharup Swarup Author(s): Rajiv Prachandiya Publisher: Z_Umravkunvarji_Diksha_Swarna_Jayanti_Smruti_Granth_012035.pdf View full book textPage 9
________________ जैन तात्त्विक परम्परा में मोक्ष रूप-स्वरूप / ३९ (ख) जीवो कत्ता या वत्ता य पाणी भोक्ता या पोग्गलो ।..... अन्तरप्पा तहेव य ।- -धवला, ११, १, २ । गाथा ८१ (ग) उत्तराध्ययनसूत्र, प्र० २८, गाथा ११, ९. (क) जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश, भाग २, क्षुल्लक जिनेन्द्र वर्णी, पृष्ठ ३३० (ख) प्रदेशसंहार - विसर्गाभ्यां, प्रदीपवत् । - तत्त्वार्थ सूत्र ५।१६, (ग) राजप्रश्नीयसूत्र, ७४ (घ) उत्तराध्ययनसूत्र, अ० १४ गाथा १९ १०. (क) उपयोगलक्खणे जीये। भगवतीसूत्र, श० २०१० (ख) जीवो उवयोगलक्खणो- उत्तराध्ययनसूत्र, श्र० २८, गाथा १० (ग) जीवोत्ति हददि चेदा उद्योगविसेसिदो |....। - पंचास्तिकाय, मूल, २ (घ) तत्र चेतनालक्षणो जीवः सर्वार्थसिद्धि, ११४११४१३, (ङ) लक्ष्खणमिह भणियमादाज्भेष.... । वृहद्नयचक्र, गाथा ३९० (च) णिच्छयणयदो दु चेदणा जस्स- द्रव्यसंग्रह, मूल, ३ ११. (क) संसारिणी मुक्ताश्वतत्त्वार्थ सूत्र, २०१० (ख) पंचास्तिकाय, मूल, १०९, (ग) बृहद्नयचक्र, १०५ 1 १२. (क) जीवभव्याभव्यत्वानि च तत्त्वार्थ सूत्र, प्र० २ सूत्र ७ (ख) पंचास्तिकाय, मूल, १२०, १३. (क) समनस्का अमनस्का: तत्त्वार्थ सूत्र ०२ सूत्र ११ (ख) द्रव्यसंग्रह, मूल १२/२९, १४. ( क ) संसारिणस्त्र सस्थावराः -- तत्त्वार्थसूत्र अ० २ सूत्र १२-१४ (ख) बृहद्नयचक्र, १२३ (ग) स्थानाङ्गसूत्र, स्थान २ उद्देशा १ सूत्र ५७ " (घ) उत्तराध्पयन सूत्र, अ० १० (ङ) आचारांगसूत्र, अ० १ (च) प्रज्ञापना, पद प्रथम, १, २, ३ १५. द्विविधाजीवा बादरा सूक्ष्माश्च राजवार्तिक ५१५१५४५८ ९ १६. (क) जीवा हवंति तिविहा बहिरप्पा तह व अंतरण्या व परमण्या वि यदुविहा अरहंता तह य सिद्धाय ॥ कार्तिकेयानुप्रेक्षा, मूल, १९२ (ख) तिपयारो सो अप्पापरमितरवाहरो दु हेऊणं - मोक्षपाहुड़, मूल ४ १७. ( क ) सर्वार्थ सिद्धि, २/६/१५९/२ (ख) षट्खण्डागम, ११, १ सू० २४/२०१ १८. (क) तद्विपर्ययलक्षणोऽजीवः सर्वार्थसिद्धि १।४।१४ (ख) इत्युक्तलक्षणोपयोगश्वेतना च यत्र नास्ति स भवत्यजीव इति विज्ञेयम् । - द्रव्यसंग्रह, टीका, १५।५० (ग) पंचास्तिकाय २।१२२ (घ) स्थानाङ्गसूत्र, २०१५७ Jain Education International For Private & Personal Use Only धम्मो दीयो संसार समुद्र में धर्म ही दीप है www.jainelibrary.orgPage Navigation
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