Book Title: Jain Society Lansing MI 2000 05 Pratistha
Author(s): Jain Center Lansing MI
Publisher: USA Jain Center Lansing MI
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चौबीसी भजन
समरु समरु चौबीसी जिनराज, लल्ली लल्ली शीश नवाय तुमरी भक्ति में मस्त बने हैं, अब तो दर्श दिखाय (२) ऋिषभ अजित संभव अभिनंदन, सुमति पदम सुपर्श्व चन्द्र सुविध शीतल श्रेयांसे वासुपूज्य भगवान । समरु..
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विमल अनंत धर्म जिन शांति, कुंथु अर मल्लिनाथ मुनिसुवृत नमि नेम जिनंदा, पार्श्व नमो वर्धमान । समरु..
मै चौबीस तीर्थंकर स्वामी, आप तिरे हमें तार हमारी अरजी स्वीकारो स्वामी, हम सबको तुम तार । समरु..
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