Book Title: Jain Siddhant Pravesh Ratnamala 05
Author(s): Digambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
Publisher: Digambar Jain Mumukshu Mandal

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Page 4
________________ :-. mmmm EMIUM.. . (In Questions and Answers) 1. General Psychology by Dr. Vatsyayan 2. Advanced Social Psychology (for M. A )........................ . वस्तु स्वरूप समझने पांच । नौ पदार्थ बोल काल पाच भाव सुखदायक दु:खदायक हेय, ज्ञय उपादेय । १-मयोग | अजीवतत्व | अनादिजडसार अनन्त x ज्ञय ड खदायक २-सयोगी| आस्रव-वध अनादि सात | औदयिक | भाव पुण्य-पाप भाव द्रव्यसार ३-स्वभाव जीवतत्व । त्रिकाली परमसार, अनादि- पारिणामिक अनन्त भाव परम परम सुखदायक | उपादेय (आश्रय करते योग्य) सादिसात -स्वभाव, सवर- के निजरा माधन एकदेस भावसार औपशमिक, धर्म का एकदेश | एकदेश | क्षायोपशमिक | सुखदायक | उपादेय श्रद्धा-चारित्र (प्रकट करने का क्षायिक योग्य) भाव पूर्ण ५-मिद्धत् व मोक्ष पूर्णमाव सार नादिअनन्त पूर्ण क्षायिक भाव सुखदायक । उपादेय (प्रकट करने योन्य) '. , . .. "TKE TIME 44 Practical Geog 45. Geography of Asia 46. Theory, Principles & Philosophy of Education 4.5. Geography of Asia & Philosophy of Ed Dharm

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