Book Title: Jain Siddhant Pravesh Ratnamala 05
Author(s): Digambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
Publisher: Digambar Jain Mumukshu Mandal

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Page 319
________________ ( ३११ ) प्रश्न २१३ - अनुमान किसे कहते हैं ? उत्तर - हेतु से जो जाना इसके अनुसार साध्य वस्तु का ज्ञान करना, अर्थात् साध्य साधना का तर्क लगा करके साध्य वस्तु को पहिचान लेना इसको अनुमान कहते है । जैसे - यहाँ अग्नि है क्योकि धूम दिखना है, यहाँ तीर्थकर भगवान विराज रहे है क्योकि समवशरण दिखता है, इस जीव को छठा गुणस्थान नही है क्योकि इसके वस्त्र ग्रहण है । इस प्रकार मतिज्ञान से अनुमान हो जाता है | प्रश्न २९४ - आगम किसे कहते हैं ? उत्तर- इसके उपरान्त आगम अनुसार जो ज्ञान हो उसे आगम ज्ञान कहते है यह श्रुतज्ञान का प्रकार है । द्रव्यानुयोग में दोष कल्पना का निराकरण प्रश्न २१५ – कोई जीव कहता है कि द्रव्यानुयोग मे व्रत, संयमाटिक व्यवहार धर्म की हीनता प्रगट की है; सम्यग्दृष्टि के विषय -- भोगादि को निर्जरा का कारण कहा है- इत्यादि कथन सुनकर जीव स्वच्छन्दी बनकर पुण्य छोड देगा और पाप मे प्रवर्तन करेगा, इस उसे पढना-सुनना योग्य नही है । उत्तर - जैसे, मिसरी खाने से गधा मर जाये तो उससे कही मनुष्य तो मिसरी खाना नही छोड देंगे, उसी प्रकार कोई विपरीत बुद्धि जीव अध्यात्म ग्रन्थ सुनकर स्वच्छन्दी हो जाता हो उससे कही विवेकी जीव तो अध्यात्म ग्रन्थो का अभ्यास नही छोड़ देगे ? हाँ इतना करेंगे कि जिसे स्वच्छन्दी होता देखे उसको वैसा उपदेश देगे जिससे वह स्वच्छन्दी न हो और अध्यात्म ग्रन्थो मे भी स्वच्छन्दी होने का जगह-जगह निषेध किया जाता है, इसलिये जो उन्हें बराबर सुनता है वह तो स्वच्छन्दी नही होता; तथापि कोई एकाध बात

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