Book Title: Jain_Satyaprakash 1956 11
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
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अमरसर (बीकानेर) में भूगर्भ से जिन प्रतिमाओं की प्राप्ति
ले. श्री. भंवरलालजी नाहटा
सं. २०१३ मिती चैत्र शुक्ला ७ को बीकानेरसे ७० मील दूरी पर स्थित अमरसर गांव (नोखा - सुजानगढ़ रोड पर ) में नोजां नामक वृद्धा जाटनीने टींबों पर रेत सहलाते हुए जिनप्रतिमा विदित होने पर ग्राम्यजनोंकी सहायता से खोदकर १६ प्रतिमाएं निकालीं जिनमें २ पाषाण व १४ धातुमय है । इनमें १२ जिन प्रतिमाएं व दो देवियों की प्रतिमाएं हैं । इनमें १० अभिलेखोवाली हैं अवशिष्ट १ पाषाणमय नेमिनाथ प्रतिमा व धातुकी पांच प्रतिमाओं पर कोई लेख नहीं हैं। इनमें दो पार्श्वनाथ प्रभुकी त्रितीर्थी व एक सप्तफणा इकतीर्थी व एक चौमुख समवसरण है । एक प्रतिमादेवी या किन्नरीकी है जो अत्यन्त सुन्दर व कमलासन पर खड़ी है। इस समय ये सभी प्रतिमाएं बीकानेर के म्यूजियम में अस्थायी रूपसे लाकर रखी गयी हैं। बीकानेर जैन संघ अपनी इन पूज्य - आराध्य और अखण्डित प्रतिमाओंको प्राप्त कर तत्रस्थ जिनालयों में विराजमान कर पूजा करना चाहता है पर आज छः महीने बीत जाने पर भी पुरातत्त्व विभागने अखण्ड प्रतिमाओंको संघके सुपुर्द कर आशातना मिटानेकी उदारता नहीं दिखाई | ये सब प्रतिमाएं अत्यन्त सुन्दर कलापूर्ण और ऐतिहासिक दृष्टि महत्त्वकी हैं। आनंदजी कल्याणजीकी पेढी, जैन श्वेताम्बर कान्फ्रेन्स आदि प्रतिनिधि संस्थाओंकों इस विषय में राजस्थान पुरातत्त्व विभागको लिखकर प्रतिमाऐं प्राप्त करने में बीकानेर जैन संघको साफल्य लाभ करने में सहायक बनना चाहिए। यहां उत्कीर्ण अभिलेखोंकी नकलें प्रकाशित की जा रही हैं।
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( १ )
अंबिका, नवग्रह, यक्षादि युक्त पंचतीर्थी.
संवत् १०६३ चैत्र सुदि ३तिभद्र पुत्रेण अल्हकेन महा (प्र)त्तमा कारिते । देव धना सुरुसुता महा पिवतु ।
( २ ) पार्श्वनाथ त्रितीर्थी
९ संवत् ११०४ कांने माल्हुअ सुतेन कारिता ।
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