Book Title: Jain_Satyaprakash 1946 12
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad

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Page 25
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir म 3 ] सामसेन-" या" [ ८७ ४-सोमसेनकृत त्रिवर्णाचारमें आ० जिनसेन वगैरहके ग्रन्थों के अनेक श्लोक दर्ज हैं, वैसे ही (राजवातिक) शुभचन्द्राचार्यका ज्ञानार्णव, भ० एकसंधिकी जिनसंहितर, वसुनन्दिका प्रतिष्ठापाठ व श्रावकाचार, गोमट्टसार, मूलाचार, कवि भूपालकी चतुर्विंशतिका, आ. सोमदेवका यशस्तिलक, पूज्यपादका उपासकाचार, व पद्मनन्दीकृत पंचविंशतिका वगैरह अनेक दि० ग्रन्थोंके श्लोक अपनाए हैं। __ . ५-इस ग्रन्थमें क० स० श्रीहेमचन्द्रसूरिके "योगशास्त्र" और आचार्यवर्य श्री सोमप्रभसूरिके "सिन्दूरप्रकर" के श्लोकोंका भी अवतरण है। जैसेकी अह्नोमुखेऽवसाने च यो द्वे द्वे घटिके त्यजन् । निशाभोजनदोषज्ञोऽनात्यसौ पुण्यभाजनम् ॥ यो० ३-६३ ॥ इसमें--त्यजन्=त्यजेत् । पुण्यभाजनम्=पुण्यभोजनम् । इतना ही फरक है । । त्रि० १०-८६ ॥ ६-भ० सोमसेनजीने मनु, याज्ञवल्क्य, कात्यायन, अंगिरा, आहनिककारिकाकार, दक्ष, शातातप, बौद्धायन, नरसिंहपुराणकार, गोमिल, पराशर, गर्ग, कश्यप, समुद्र, पैठीनसि, उशनस्, श्रीपति, वशिष्ठ, नारद, ज्योतिर्निबन्धकार, मरीचि, विष्णुपुराणकार, विष्णुसंहिताकार. वगैरह जैनेतर ऋषि महर्षि और विद्वानोंके ग्रन्थोंके श्लोक व मंत्र उठाकर इस ग्रन्थमें लिख दिये हैं और विना नामोल्लेख अपनेसे बतलाये हैं । देखिये इसका नमूना सन्तुष्टो भार्यया भर्ता भत्रा भार्या तथैव च । यस्मिन्नेव कुले नित्यं कल्याणं तत्र वै धुवं । -मनुस्मृति .३-६० ॥ त्रिवर्णाचार ८-४६ ॥ सिंहकर्कटयोर्मध्ये सर्वा नद्यो रजस्वलाः । तासुस्नानं [तासांतटे] न कुर्वीत वर्जयित्वा समुद्रगाः ॥ कात्यायनस्मृति खं० १० श्लो० ५ ॥ त्रि० ३-७८ ॥ मात्रं भौम तथाग्नेयं वायव्यं दिव्यमेव च । वारुणं मानसं चैव सप्तस्नानान्यनुक्रमात् ॥ (आनिकसूत्रावली-स्मृतिरत्नाकर ) याज्ञवल्क्य ॥ त्रिवर्णाचार ३-५२ ॥ कृत्वा यज्ञोपवीतं च पृष्ठतः कण्ठलम्बितम् । विण्मूत्रे तु गृही कुर्यात् दामकर्णे समाहितः [वतान्वितः] ॥ अंगिरा० (आ० स्मृ०)। त्रि० २-२७ ॥ शौचे यत्नः सदा कार्यः शौचमूलो द्विजः [गृही] स्मृतः । शौचाचारविहीनस्य समस्ता निष्फलाः क्रियाः ॥ . -दक्षस्मृति, अ० ५, श्लो० २ ॥ त्रि० २-५४ ॥ For Private And Personal Use Only

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