Book Title: Jain_Satyaprakash 1942 05
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad

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Page 41
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [४८१] અંક ૯] પંજાબ કે પ્રશાસ્ત સંગ્રહ सालकोटमध्ये सं० १६९३ वर्षे सावण सुदि ७ दिने लिषतं मोहन ऋषि गंगू का कल्याणमस्तु । १२. प्रथ नं० १९१९ भक्तामरवृत्ति । लिषतं अमोलकचंद शालकोट सहर मध्ये श्री पूज्यजी मलूकचंदजी तत्शिष्य श्रीमहासिंघजी तशिष्य श्री अमोलक चंदजी लिष्यत सवत् १८८८ ज्येष्ठ मासे कृष्ण पक्षे दशमी तिथौ रविवारे ।। १३. प्रथ नं० २०८५ मृगावतीनी चौपई । स० १८७५ लिषतं नंदलाल रतिलाल रायचंद, लधिहाणा पंजाब देस ।। १४. प्रथ नं० ८८ अंतरीक्षपार्श्वनाथ छंद । स० १७९९ लिषतं रामविमल जालंधर मध्ये । १५. प्रथ नं० २२३ आर्यवसुधारणी। स. १८०८ लिषतं लद्धाजी सरसा मध्ये । १६. ग्रंथ नं० ७२७ गौतमकुलकवृत्ति । सं. १८१७ लिषतं सिद्धतिलक गणिशिष्य सिद्धरंग । कपूरै दै कोट मध्ये । १७. प्रथ नं० ४९२ कल्पसूत्र । सं० १७४० लिषतं जसवंत बन्नू ऋ० (8) पिंडीसहर मध्ये । १८. ग्रंथ नं० १०३७ ज्ञातासूत्र । लिषा पू० सागरऋषि तत् अंतेवासिना गंगमुनिना लिपीकृतं । पठनाथ आचार्य जसवंत जी सही २ सं० १७४२ वर्षे श्रावण वदि नवम्यां बुधदिने पीपापुरमध्ये परस्वार्थे लिषीकृतं । श्री ज्ञाता जी के पत्रे सिवारे श्रावक मुहरो कंबो ने संवत् १८७४ वर्षे श्रावण वदी २ रविदिने श्री सुनामनगरे थानकमहिं नवीलिषतं लिषतं मुहरूमाई दित्ता का बेटा श्रावक धर्मे । . ऊपर की प्रशास्तियों में किसी विशेष घटना का उल्लेख नहीं है । इस प्रकार की प्रशस्तियां गुजरात आदि देशों के इतिहास में अधिक सहायता नहीं देती क्यों कि वहां दूसरे रूपों में प्रचुर सामग्री मिल रही है। परंतु पंजाब के लिये ऐसी प्रशस्तियां भी काफी उपयोगी हैं । इनसे यह तो मालूम हो जाता है कि अमुक संवत् में, अमुक नगर में जैनधर्म का अस्तित्व था और वहां अमुक संप्रदाय के अमुक साधु या यति विराजमान थे । अगर पंजाब में रहे हुए बीस हजार प्रत्थों में से आधे ग्रंथों पर प्रशस्तियां और उनमें से भी हजार प्रशस्तियों में पंजाब के नगरों का उल्लेख हो तो उनसे पंजाब के जैन इतिहास की काफी पूर्ति हो सकती है। अवकाश मिलने पर “जैन सत्य प्रकाश " में और भी प्रशस्तियां मुद्रित कगई जायंगी ।। For Private And Personal Use Only

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