Book Title: Jain_Satyaprakash 1942 05
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad

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Page 39
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पंजाब का प्रशस्ति-संग्रह लेखकः- डॉ. बनारसीदासमो जैन, M. A., Ph. D., Oriental College, लाहोर. ऐतिहासिक संशोधन में ग्रंथकारों और लिखारियों की प्रशस्तियां बड़ा महत्त्व रखती हैं, क्योंकि उनमें कभी कभी तात्कालिक घटनाओं का उल्लेख रहता है । यद्यपि इनसे किसी क्रमबद्ध इतिहास की आशा नहीं की जा सकती, तथापि इन में कहीं २ ऐसे उल्लेख मिल जाते हैं जिनसे ऐतिहासिक तथ्यों का समर्थन होता है। ___पंजाब में गत तीन चार शताब्दियों में जैनधर्म की परिस्थिति कैसी थी इस बात का सामान्य रीति से निर्णय करने के लिये भी पर्याप्त साधन विद्यमान नहीं हैं । परंपरागत कथन का प्रायः लोप हो चुका है। मंदिर और उपाश्रय नष्ट भ्रष्ट हो गये हैं। पंजाब में जैनधर्म की परिस्थिति को वर्णन करने वाले साहित्यिक उल्लेख भी बहुत कम हैं। ऐसी दशा में लिखारियों की प्रशस्तियों से बहुत कुछ सहायता मिल सकती है। परंतु खेद का विषय है कि इस ओर जैसा चाहिये वैसा ध्यान नहीं दिया गया । मेरा दृढ विश्वास है कि पंजाब के जैन भंडारो में अनुमान बीस हजार लिखित ग्रंथ विद्यमान हैं। इन भंडारों का महत्त्व जानने के लिये पढ़िये-(१) " श्री आत्मानन्द जन्म शताब्दि स्मारक ग्रन्थ " हिंदी विभाग, पृ० १५७-६८ पर " पंजाब के जैन भंडारों का महत्त्व " शीर्षक मेरा लेख अथवा (२) मेरे द्वारा संकलित और पंजाब यूनिवर्सिटी द्वारा सन् १९३८ में प्रकाशित " ए कैटेलाग ऑफ मैन्युस्क्रिप्ट्स इन दि पंजाब जैन भंडार्स" अर्थात् पंजाब के जैन भंडारों की सूची प्रथम भाग, मूल्य रू. ५)। इस सूची में उल्लिखित ग्रंथों के अतिरिक्त हजारों ग्रंथ और हैं जिनका निरीक्षण करके सूची का प्रकाशित करना अत्यावश्यक है। आज इस घोर युद्ध की भयावह परिस्थिति में इनका निरीक्षण और भी अधिक जरूरी है ताकि अज्ञातपूर्व और अलभ्य ग्रंथरत्नों को सुरक्षित रखने का उपाय किया जाय । ये ग्रंथ अधिकतर मूर्तिपूजक श्वेताम्बर संप्रदाय के हाथ में हैं। इनकी सार संभाल करना न केवल पंजाब के जैन संघ का, अपितु समग्र भारतवर्ष के जैन भाइयों का, कर्तव्य है । इनकी उचित सारसंभाल यही है कि पहले उनकी सूची बना ली जाय और फिर युद्ध की समाप्ति पर्यंत उन्हें किसी सुरक्षित स्थान में रखा जाय । मैंने “ जैन इतिहास में लाहौर " शीर्षक अपना लेख* लिखने में __ * मो इसी पत्रिका के किसी आगामी अंक में छपेगा । For Private And Personal Use Only

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