Book Title: Jain Satyaprakash 1937 09 10 SrNo 26 27
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad

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Page 52
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [rio] શ્રો જૈન સત્ય પ્રકાશ [44 3 तो कारण बताववुं पडशे. कारणमां एम कहेशो के मुनि माधुकरीवृत्तिथी धर्मसाधना निमित्ते नवकोटी शुद्ध आहार ले छे माटे तेमने कर्मबन्धन नथी, अने गृहस्थ तेथी विपरीत वृत्तिवाळो छे माटे कर्मबन्धनमां लेवाय. आना उपरथी सारांश ए आव्यो के माधुकरीवृत्तिथी धर्मसाधना निमित्ते नवकोटि शुद्ध आहारनी क्रिया कर्मनी बन्धिका के मुनिपणानी व्याघातिका नथी, अने आथी विपरीत जे आहारक्रिया ते कर्मनी बन्धिका तथा मुनिपणानी व्याघातिका छे. शास्त्रमां बतावेलां छ कारण पैकी कोई पण कारणे मुनिने आहारक्रियानी जरूरत होय त्यारे प्रथम दरजानी आहारक्रिया एक वार करे. अने वैयावश्चादि कारणे एक वारथी निर्वाह न थाय तो तेथी वधारे पण करे. आमां लेशमात्र दोषने अवकाश नथी. अणसण तथा ऊणोदर तप नाश पामे छे, एम जे लेखके जणान्युं तेना प्रत्युत्तरमां जणाववानुं जे एक वार आहार करता तमारा दिगम्बर मुनिना अणसण अने ऊनोदर तप नाश पामे छे के नहि ? जो नाश पामे छे तो शा माटे तमारा दिगम्बर मुनि एक वार आहार करे छे ? शुं तेमने अणसण अने ऊनोदर तप वहालां नथी ? नथी नाश पामता एम कहेशो तो शाथी ? कारणके एक वार आहार कर्यो एटले आहारना अभावरूप अणसणपणु अने तेमां पण बत्रीश अथवा तेथी वधारे कवळ लेवामां ऊनोदरता पण चाली जाय छे. आनो जे प्रामाणिक प्रत्युत्तर ते अनेकवारना कारणिक आहारमां पण छे. " अनेकवार आहार करनेसे किये हुए उपवासौंका करना कुछ सफल नहि मालूम पडा. क्योंकि उपवास करनेसे भोजन - लालसा घटनेके बजाय अधिक हो गई ।" आना जवाबमां जणाववानुं जे आहारनी लालसा घटया सिवाय तो उपवास थई शकतो नथी. जे वात आबालगोपाल प्रसिद्ध छे ते घातनो अपलाप करवो ते खरेखर उगेला सूर्यने अपलापवा जेवुं छे. उपवासना पारणे पण बे वार आहार कई स्थितिमां केवा विकल्पे शास्त्रकार महर्षिए जणावेल छे ए वात लेखके सामे राखवानी जरूरत हती. शास्त्रकार भगवान् जणावे छे के उपवासना पारणे छास वगेरे लघुभूत आहार वापरे, आथी निर्वाह थइ शके तो ते दिवसे बीजी वार आहार न करे. कदाच निर्वाह न थइ शके तो बीजी वार पण आहार लइ शके छे. आथी वाचकवृन्द समजी शके तेम छे के लालसावृद्धिनो लेश पण शास्त्रमां नथी तथा प्रतिदिन एकाशन करनारनी अपेक्षाए एकांतरे उपवास करी बेहास करनारना फलमां पण विशेषता छे. कारणके प्रतिदिन एकाशन करनार मासिक ७|| उपवासनुं फळ मेळवे छे, त्यारे एकांतरे उपवास करी बेहामणुं करनार मासिक १६ || = उपवासनुं फळ मेळवे छे। For Private And Personal Use Only

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