Book Title: Jain Sahitya me Shrikrishna Charit
Author(s): Rajendramuni
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 2
________________ श्रीकृष्ण का चरित वैदिक साहित्य परम्परा में विस्तार से निरूपित है। जैन साहित्य में भी इस युग पुरुष का गौरवपूर्ण स्थान है, परन्तु वैदिक परम्परा से कुछ भिन्न है। जैन परम्परा में श्रीकृष्ण एक श्लाधनीय पुरुष हैं । उनका जीवन भगवान् अरिष्टनेमि के सम्पर्क से अहिंसा की भावना से ओतप्रोत है वे वासुदेव है । एक सात्विक गृहस्थ हैं, अपने पुत्र पुत्रियों एवं धर्मपत्नियों को संयमसाधना की प्रेरणा देते है प्रस्तुत शोध प्रबन्ध में विद्वान् लेखक ने श्रीकृष्ण के जीवन चरित के विभिन्न पक्षों को प्राकृत आगम, संस्कृत, अपभ्रंश एवं हिन्दी जैन साहित्य में वर्णित प्रसंगों के आधार पर तुलनात्मक दृष्टि से प्रस्तुत किया है और नवीन एवं मौलिक तथा प्रस्तुत करने का भी प्रयास किया है। ar मूल्य १००.०० Personal Use Only jainelibrary.org

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