Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 7
Author(s): Ambalal P Shah
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 13
________________ [ iv ] २२२, यादवसुत २२२, माणिकनंदि २२३, जिनसागर २२३, लक्ष्मीचन्द्र २२५, सया २२५, सोयरा २२५, यमासा २२६, तानू पंडित २२६, न्याहाल २२७, रतन २२७, दिनासा २२७, वृषभ २२७, देवेन्द्र कीर्तिशिष्य २२७, अनन्तकीर्ति २२८, जनार्दन २२८, भीमचन्द्र २२८, राघव २२८, कवीन्द्र सेवक २२९, बोप २३०, महतिसागर २३०, दयासागर ( द्वितीय ) २३१, रत्नकीर्ति २३१, चन्द्रकीर्ति २३२, नागेन्द्रकीर्ति २३२, दिलसुख २३२, माणिक २३३, जिनसेन २३३, लक्ष्मीसेन शिष्य २३३, ठकाप्पा २३३, तुकुजी २३४, राया २३४, कुछ अज्ञातकर्तृक ग्रन्थ २३४, अध्याय ३ वर्तमानकालीन मराठी जैन साहित्यकार एवं उनकी रचनाएँ सेठ हिराचंद दोशी २३५, चवडे बन्धु २३६, कृष्णाजी नारायण जोशी २३६, नाना रामचन्द्र नाग २३६, कल्लाप्पा भरमाप्पा निटवे २३७, तात्या नेमिनाथ पांगळ २३७, जीवराज गौतमचन्द दोशी २३७, दत्तात्रय भिमाजी रणदिवे २३८, रावजी नेमचन्द शहा २३९, तात्या केशव चोपड़े २३९, रावजी सखाराम दोशी २३९, जिनदास पार्श्वनाथ फडकुले २४०, कंकुबाई २४१, आचार्य श्री आनन्द ऋषि जी २४१, मोतीचन्द हिराचन्द गांधी २४१, आबगौंडा भुजगौंडा पाटील २४२, अप्पाभाई मगदूम २४२, शान्तिनाथ यशवन्त नान्द्रे २४२, सुमेर जैन २४२, सुभाष अक्कोळे २४३, अन्य महत्त्वपूर्ण रचनाएँ २४३, पत्रिकाएँ २४७, उपसंहार २४८ Jain Education International २३५-२४८. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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