Book Title: Jain Sadhu aur Biswi Sadi
Author(s): Nirmal Azad
Publisher: Z_Jaganmohanlal_Pandit_Sadhuwad_Granth_012026.pdf

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Page 4
________________ ७४ पं० जगमोहनलाल शास्त्री ग्रन्थ [खण्ड सारणी : साधु के गुण अनगार के २७ गुण, ( समवायांग ) अनगार के २८ मूलगुण, (मूलाचार ) १-५. पांच महाव्रत १-५. महाव्रत अनगार के २७ गुण ( हरिभद्र ) (१) पंच महाव्रत १. अहिंसा २. सत्य ३. अस्तेय ४. ब्रह्मचर्य ५. अपरिग्रह ६-१०. पंचेन्द्रिय जय (२) पंचेन्द्रिय जय ६. स्पर्शन जय ७. रसना जय ८. घ्राण जय . ९. दृष्टि जय १०. श्रवण जय ६-१०. पंचेन्द्रिय निरोध ११-१५. पांच समिति ईर्या भाषा ऐषणा आदान-निक्षेपण व्युत्सर्ग (३) ११. रात्रि भोजन त्याग ११-१४. क्रोध, मान, माया, लोभ त्याग १६-२१. छह आवश्यक (४) १२. भाव सत्य १५. भाव सत्य सामायिक (५) १३. करण सत्य १६. करण सत्य चतुर्विंशतिस्तव (६) १४. क्षमा : क्रोध जय १७. क्षमा वंदना (७) १५. विरागता-लोम जय १८. विरागता प्रतिक्रमण (८) १६-१८. मन, वचन, काय, शुभवृत्ति १९-२१. मन, वचन, काय निरोध प्रत्याख्यान कायोत्सर्ग केश लोंच आचेलक्य (९) १९-२४. छह काय के जीवों की रक्षा २२-२४. रत्नत्रयसंपन्नता (१०) २५. संयम २५. योग सत्य (११) २६. वेदना सहता. २६. वेदना सहता (१२) २७. मारणांतिक कष्टसहता २७. मरणांत कष्टसहता (१३) २८. अस्नान क्षितिशयन २६. अदन्त धावन स्थिति भोजन २८. एक भक्त Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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