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ग्रहोंमें उत्पन्न होगा और जुदा ही दृश्य धारण करेगा । इस जन्मधारंण में नरमादाका सम्बन्ध होना ही चाहिये, इसकी जरूरत नहीं हैं. विना नरमादाके सम्बन्धके भी प्राणियों का जन्म हो सकता है। जीवनकी इतनी अधिक प्रकारकी स्थितियां हैं कि, उनकी जानकारी केवलमनुष्य की स्थितिका अभ्यास करनेसे नहीं हो सकती है । हम सबने केवल मनुष्य और दूसरे थोडेसे प्राणियों की स्थितिका अभ्यास किया है जो कि उस अतिशय उच्च श्रेणीकी सायन्सका जिसका के हम वर्तमान में शक्तिके अनुसार बहुत थोडासा अम्यास कर सकते हैं एक बहुत ही सूक्ष्म भाग है । ऐसी बहुतसी स्थितियां हैं. कि जिनका अभ्यास करनेके लिये हम अशक्त हैं, क्योंकि संसारमें. असंख्य स्थितियां हैं । इसलिये एक प्रकारकी ( नरमादाके सम्बन्ध आदिकी ) स्थितिका नियम सब ही प्राणियों की स्थितिके लिये लागू नहीं हो सकता है ।
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हमारा अभ्यास आन्तर्दृष्टिका है । हमारे मतसे आत्मा सब कुछ यथार्थ समझने के लिये समर्थ है, इसलिये जो ज्ञान प्राप्त हो, वह उत्तम होना चाहिये । क्योंकि सायन्सकी रीतिसे नो कठिनाइयाँ आती हैं, वे इस उत्कृष्ट प्रकार के ज्ञानमें नहीं आती हैं । सायन्टिस्ट लोग भूल करते हैं, परन्तु वे समझते हैं कि, हम भूल नहीं करते हैं । कई एक विषय जो यथार्थ नहीं होते हैं, उसमेंसे निकाले हुए सारका ज्ञान प्राप्त करना चाहिये अथवा जो विषय यथार्थ हो, उनमें से निकाले हुए, सारका ज्ञान प्राप्त करना चाहिये । हम यह नहीं। कहते हैं दृष्टिसे प्रत्यक्ष देखी हुई वस्तुओंका जो ज्ञान प्राप्त किया जाता है उसमें हमेशा ही भूलें हुआ करती हैं; परन्तु