Book Title: Jain Kumar Sambhavakhyam Author(s): Jayshekharsuri Publisher: Acharyarakshit Pustakoddhar Sanstha View full book textPage 6
________________ आ ग्रंथ अगीयार साँथी विभूषित थयेल छे आ काव्यमा रुषभदेव अने भरतकुमारचं वर्णन आपेल छे, पळी लौकिक विवाह विधि वगेरेनुं वर्णन आपीने कविश्वरे (पोताना) समयमां पण चालता लौकिक रीवाजोथी आपणने पाकेफ करी आपणापर मोटा उपकार करेल छे. आ ग्रंथ प्रसिहमा लावा माटे पूज्यपाद पंन्यासजी महाराजश्री दानसागरजी महाराज तथा तेमना शिष्य नेमसागरजी महाराजे सतत् प्रयत्न करेल छे. ग्रंथमा प्रेसदोष अथवा बीजी अशुद्धिओ माटे क्षन्तव्य गणी सूचना करवा नम्र विनंति छे. ॐ शांतिः शांतिः लो० संवत् २००० वसंत पंचमी. बालुभाइ हीरालाल, आ प्रति आनंद पुस्तकालय तरफथी मळतां तेमनो उपकार मानवामा भावे छे.Page Navigation
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