Book Title: Jain Kaviyo ka Itihas ya Prachin Hindi Jain Kavi
Author(s): Mulchandra Jain
Publisher: Jain Sahitya Sammelan Damoha

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Page 201
________________ भैया भगवतीदास १८९ AruuuNAV चित्रबद्ध कविता कविवर ने बहुतसी चित्रबद्ध कविता की है जिसके चित्र यहाँ दिए जाते हैं। दोहा परम धरम अवधारि तू, पर संगति कर दूर ॥ ज्यों प्रगटै परमातमा, सुख संपति रहै पूर ॥७॥ धनुषबद्धचित्रम् 44AON A) . र धारि तू दू - - - र ज्यों प्रग है पर म ध र म अ व Ool

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