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भैया भगवतीदास
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चित्रबद्ध कविता
कविवर ने बहुतसी चित्रबद्ध कविता की है जिसके चित्र यहाँ दिए जाते हैं।
दोहा परम धरम अवधारि तू, पर संगति कर दूर ॥ ज्यों प्रगटै परमातमा, सुख संपति रहै पूर ॥७॥
धनुषबद्धचित्रम्
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