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प्राचीन हिन्दी जैन कवि
दोहा
आप आप थप जाप जप, तप तप खप वप पाप ॥ काप कोप रिप लोप जिप, दिप दिप त्रप टप टाप ॥ ९ ॥
हारवद्धचित्रम्
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