Book Title: Jain Kaviyo ka Itihas ya Prachin Hindi Jain Kavi
Author(s): Mulchandra Jain
Publisher: Jain Sahitya Sammelan Damoha

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Page 206
________________ २५) श्रीमान् सवाई सिंघई नाथूरामजी मालगुजार, नरसिहपुर। २५) , सिंघई रामभरोसे स्वदेशचन्द्रजी, गोटेगाँव । २२), सेठ मोतीलाल कन्हैयालालजी, कन्नड़। , सेठ श्रीकृष्णदासजी, औरगावाद । चौधरी कन्हैयालाल हुकमचंदजी, सागर । सेठ कुंजीलालजी कठरया, पछार। १०) , सेठ गनपतलालजी गुरहा, दूकान पछार । १०), सेठ लालचन्दजी माणिकचन्दजी पहाड़े, नांदगाँव । १०) , सिंघई उदयचंदजी दरवारोलालजी, गोटेगाँव । १०) श्रीमती चन्द्रवाईजी, सुपुत्री सेठ घासीरामजी, खंडवा। १०) श्रीमान् ला० जंवूप्रसादजी रईस, नानौता। १०) " सिंघई कन्हैयालाल गिरधारीलालजी, कटनी । ३१०), सेठ कचरदास चुन्नीलालजी रईस, वाकलीवाल बिल्डिंग, औरंगावाद । सिंघई कुन्दनलालजी, सागर ।. चौधरी मुलामचन्दजी, गोटेगाँव। सेठ जीवनलालजी सराफ, गाडरवाड़ा। ५) , सेठ घासीराम चुन्नीलालजी, टिमरनी। ५), सेठ हीरालाल सितावचन्दजी, खंडवा । ماکے کے - के फूल वाली रकमों में घासीलाल भूलचन्द्रजी कन्नड़ से १०) तथा सेठ कचरदासजी चुन्नीलालजी औरंगाबाद से १०) हैदरावादी प्राप्त हुए हैं । शेष द्रव्य अभी प्राप्त नहीं हुआ है। भवदीय मूलचन्द्र 'वत्सल' मंत्री-जैन साहित्य सम्मेलन, दमोह सी. पी.

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