Book Title: Jain Katha Sahitya ki Vikas Yatra
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 9
________________ पाठक हमारे प्रकाशन रुचिपूर्वक पढ़ते हैं । अनेक पुस्तकों के द्वितीयसंस्करण हो चुके हैं, तथा हो रहे हैं। यह हमारे प्रकाशनों की लोकप्रियता का स्पष्ट प्रमाण है। हमारे इस प्रकाशन में आर्थिक रूप से जिन्होंने सहयोग प्रदान किया है, हम उन दानी महानुभावों के सहयोग के प्रति आभार प्रकट करते हैं तथा विश्वास है, भविष्य में भी इसी प्रकार वे सहयोग का हाथ बढ़ाते रहेंगे । जिससे हम नित-नया अभिनव साहित्य अपने प्रेमो पाठकों को समपित करते रहेंगे। -चुन्नीलाल धर्मावत कोषाध्यक्ष श्री तारक गुरु जैन ग्रन्थालय, उदयपुर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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