Book Title: Jain Hiteshi 1917 Ank 12
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 46
________________ जैनहितैषी [ भाग १३ अँगरेजी अनुवाद । पृष्ठसंख्या १०२ । मूल्य सतीशचन्द्र विद्याभूषणके सभापतित्वमें जोधबारह आने । पुरमें जो जैनसाहित्यसम्मेलन हुआ था, ६ Saptbhangi naya (सप्तभंगीनय)। उसका यह कार्यविवरण अभी थोड़े ही दिन जैनहितैषीके भाग १३ अंक १ में प्रकाशित हुए पहले प्रकाशित हुआ है। इसके एक भागमें लेखका अँगरेजी रूप । इसके प्रारंभमें श्रीयुत सम्मेलनकी रिपोर्ट है और दूसरे भागमें सम्मेमुनि जिनविजयजीकी लिखी हुई एक छोटीसी लनमें उपस्थित हुए गुजराती, हिन्दी और भूमिका भी दी हुई है। पृष्ठ ३० । मूल्य छह आने । अँगरेजी लेखोंका संग्रह है। आकार रायल ७ Lord Krishna's message । पृष्ठ- अठपेजी । पृष्ठसंख्या लगभग २६० । मूल्य संख्या २४ । मूल्य चार आने। एक रुपया। ८ व्याकरणबोध । हिन्दी भाषाका सुगम . १२ देहली शास्त्रार्थ ! (ईश्वरकर्तृत्वऔर संक्षिप्त व्याकरण । पृष्ठसंख्या २८। मूल्य तीर्थकरसर्वज्ञत्वखण्डनमण्डनविषयक ।') न्यायाढाई आना। लङ्कार पं० मक्खनलाल शास्त्री ( जैन ) ९ साहित्य-संगीत-निरूपण । पृष्ठसंख्या और पं० नरसिंहदेव शास्त्री दर्शनाचार्य (आर्य१३० । मूल्य दश आने । समाजी ) के शास्त्रार्थका विवरण । पृष्ठसंख्या १० उपनिषदू-रहस्य । नौ मुख्य मुख्य ६८ । मूल्य चार आने । प्रकाशक, मंत्री जैनउपनिषदोंके चुने हुए वाक्योंका संग्रह, उनका मित्रमण्डल, धरमपुरा देहली। हिन्दी अनुवाद और अँगरेजी अर्थ । आकार १४ सोऽहं तत्त्व । श्रीयुत ' सोहं स्वामी' डिमाई अठपेजी । पृष्ठसंख्या ४८ । मूल्य की बंगला पुस्तकका हिन्दी अनुवाद । अनुवाढाई आने । दक और प्रकाशक पं० ज्वालादत्त शर्मा, किस ___ उपर्युक्त छहों पुस्तकोंके लेखक धौलपुर स्टेटके रोल, मुरादाबाद । पृष्ठसंख्या १०४ । मूल्य सेशनजज श्रीयुत लाला कन्नोमलजी एम. ए. आठ आने । और प्रकाशक 'आत्मानन्द जैनपुस्तकप्रचा- १५ विवाहप्रबन्ध । लेखक, श्रीयुत रक मण्डल, रोशन मोहल्ला, आगरा' हैं। मुकुन्दीलाल, प्रकाशक, गढ़वाली प्रेस, देहरा ११ अहिंसा परमोधर्मः । इसमें महात्मा दून । डिमाई अठपेजी साइजके ३२ पृष्ठ । गाँधीका लिखा हुआ .' अहिंसा' और किसी मूल्य तीन आने । अहिींसस्ट' नामधारी महाशयका 'जैन अहिंसा', १६ शाही लकड़हारा । महात्मा शिवइस तरह दो अँगरेजी लेख हैं । ये दोनों लेख व्रतलाल वर्मा एम. ए. की उर्दू पुस्तकका अनुसुप्रसिद्ध अँगरेजी पत्र ‘माडर्नरिव्यू' में प्रका वाद । अनुवादक, बाबू गौरीशंकरलाल अख्तर । शित हुए थे । डबल क्राउन ३२ पेजी साइजके प्रकाशक, बाबू दयाचन्द गोयलीय बी. ए., ३२ पृष्ठ । मूल्य एक आना । भारतजैनम हा हिन्दीसाहित्यमण्डार, लखनऊ । आकार डबल मण्डलके जीवदयाविभागके मंत्री बाबू दया-- क्राउन सोलहपेजी । पृष्ठसंख्या २५२ । मूल्य -चन्दजी गोयलीय , बी. ए. लखनऊ इसके एक रुपया । .. प्रकाशक हैं। - १७ सदाचार-सोपान । प्रतिभा आदि १२ जैनसाहित्यसम्मेलनका कार्य विव- उपन्यासोंके लेखक बाबू अविनाशचन्द्र दास रण । सन् १९१४ के मार्च महीनेमें डा० एम. ए. बी. एल. की सुकथा नामक बंगला

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