Book Title: Jain Hiteshi 1917 Ank 05 06 07
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 136
________________ (४) आरंभसिद्धि सटीक । पंडित श्रीहंसरत्नगणी विरचित (गद्यात्मक) (जैन ज्योतिषनो अपूर्व ग्रन्थ।) श्रीशत्रुजयमाहात्म्यम्. आ महान् ग्रंथ पंदर अधिकरामा बहेंचायेलो छे. आ ग्रन्थना कर्ता उदयप्रभदेवसूरि वस्तुपाळ मंत्री- तेमां दस हजार लोको आपेलाछे, आ ग्रंथना कर्तानी ... समयमां थएला छे आ ग्रन्थमां-तिथि १, वार २, शैली अद्भुत घणी प्रशंसनीय छे. तीर्थराजनी अद्भुत .क्षत्र ३, योग ४, राशि ५, गोचर ६, कार्य ७, शोभा तथा तेमनां दर्शन अने श्रवणर्नु महद् पुन्य, गमन (प्रयाण)८, वास्तु ९, विवाह १० अने निवृतिना समयमा प्राप्त करवा सरखुं छे. पंडितश्रीए मिश्र ११. आ अग्यार द्वार (वियोग) लोधा छे. प्रत्येक अधिकारमा सृष्टि अने प्रकृतिना सौंदर्यनं अप्र. दरेक विषय सांगोपांग कहेला होवाथी कोडपण विषय तिम वर्णन करेलुं छे. संस्कृत शुद्ध अने सरल भाषा शरभातना अभ्यासीओने बहु उपयोगी छे, सुंदर जाडा माटे ग्रन्थान्तरना अवलोकननी जरूर रहेती नथी. आ एन्टीक पेपर उपर छपायेलो छे. कीमत रु०१०-०-० ग्रन्थ ऊपर वाचनाचायें श्रीहेमहंसगणीए टीका करेली टपाल खर्च जर्ट *छे. तेमा मूळ ग्रन्यनुं स्पष्ट स्पष्टीकरण करवा उपरांत शाह पुरुषोत्तम गीगामाई. तेति स्थळे स्वमत तथा अन्य मतना प्राचीन ज्यो- ___ 'जैनशासन ' पत्रना मालेक, भावनगर । तिष अन्धनी साक्षी आपी दरेक विषयो सुदृढ कर्या कन्याकी जरूरत । छे. तेमज मूळ ग्रन्थनी अपूर्णता पण स्वपर ग्रन्थोंना पाटो लखीने पूर्ण करी छे. अर्थात् आ एकज ग्रन्थ हमें अपने लड़केका विवाह करना है। हम समैया ऐहिक तथा पारलौकिक सर्व शुभ कार्यों माटे अति परवार ( तारनपंथी ) है; परन्तु हमारे यहाँ लड़ कियोंका अभाव हो रहा है। थोड़े घर होनेसे हमारी उपयोगी छे. कीमत रु. पांच. ( टपाल खर्च भिन्न.) विरादरीमें बीसों जवान लड़के कुंआरे मारे मारे फिर श्रीसिद्धर्षिगणि रचित रहे हैं, उन्हें लड़कियाँ नहीं मिलती। इस लिए हम परवारोंमें सम्बन्ध करना चाहते हैं। इसके लिए यदि - उपमितिभवप्रपञ्चाकथा । हमें अपना तारनपंथ छोड़ देना पड़े तो हम उसे छोड़ नेके लिए भी तैयार हैं । कन्यावाले जिस तरह राजी [वीश हजार श्लोकनो साहित्यसागर । ] हों हम उसी तरह अपनी व्यवस्था कर सकते हैं। आ ग्रन्थनी प्रशंसा करवी ते कस्तुरीनी सुगंध अने लडकेकी उम्र २७ वर्षकी है। कुँआर वदी १२ सं० सुवर्णनी कान्तिनां प्रशंसापत्रो मेळववा श्रम सेववा सरखू ४६ का जन्म है । राशिका नाम 'डिगम्बर' है। छे. अद्भुत कल्पना करवानी प्रतिभा शक्तिवाळा आ सकि नीचे लिखे अनुसार है। चार सांकें सुलझाकर प्रन्थमा विद्वान कर्तानी शैली अने कथाना रूपमा अद्भुत अथवा आठ सांके सुलझाकर दोनों तरहसे हम सम्बन्ध करनेके लिए राजी हैं:करुपना योजवाना सामर्थ्यथी वक्ता अने श्रोताओने अ. १ प्रथम मूर गोलाडिम फरस्या गोत । पूर्व आनंद प्रकट थाय छे. आ ग्रन्थ त्रण भागमा वहेंची २ लड़काके मामा लूटा । नाखवामां आव्यो छे. पहेला भागमा त्रण प्रस्ताव, ३ बापके मामा षाटे। बीजा भागमा चारथी छ प्रस्ताव अने त्रीजा भागमा ४ मतारीके मामा रकिया। सातथी आठ प्रस्ताव समाववामां आव्या छे. छुटक ५ आजेके मामा उजिया। भागो खरीद करनार पासेथी पहेला, बीजा अने त्रीजा ६ आजीके मामा बहुरिया । ७ नानाके मामा खोना। भागना रु.६-०-०, ६-०-० अने रु. ४-०-० ८ नानीके मामा वैशाखिया। लेवामा आवशे, अने संपूर्ण ग्रन्थ एकी साथे लेनार । नीचे लिखे ठिकानेसे पत्र व्यवहार करना चाहिए। पासेथी० १२-०-० लेवामा आवे छे. ग्राहकनी हमारे यहाँ बजाजी और लेन देनका धंदा होता है । इच्छा संपूर्ण प्रन्थ लेवानी हशे तो प्रथम भाग साथेज हम मध्यम स्थितिके गृहस्थ हैं। त्रणे भागनुं मुल्य लेवामा आवशे. प्रथम भाग बहार नन्हेलाल मन्नूलाल परवार बजाज । पड़ी चुक्यो छे। . .. इंटार्सी (होशंगाबाद)। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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