Book Title: Jain Gita Author(s): Vidyasagar Acharya Publisher: Ratanchand Bhayji Damoha View full book textPage 169
________________ संसार के गुरु रहें जयवन्त नामी ! तीर्थेश मंतिम रहें जयवन्त स्वामी ! विज्ञान स्रोत जयवन्त रहें ममात्मा, ये "वीरदेव" जयवन्त रहें महात्मा ॥७५६॥ दोहा मेरे वादविवाद को निर्विवाद स्याद्वाद, सब बादों को खुश करे पुनि-पुनि कर मंवाद ।। चतर्थ खण्ड समाप्त [ १४६]Page Navigation
1 ... 167 168 169 170 171 172 173 174 175