Book Title: Jain Gita Author(s): Vidyasagar Acharya Publisher: Ratanchand Bhayji Damoha View full book textPage 173
________________ स्थान परिचय श्रोधर केवलि शिवगये, कुण्ड :गि म । धारा वर्षा योग उन, नरणन में इस वर्ग ।। 'बई बाबा" बड़ी कृपा नी मुभ मानी ! पूर्ण हुई मम कामना पा र जिन- पाप ।' । मग गगनगति गध की भाद्रपदी मातीज । पूर्ण हुअा यह ग्रन्थ है भर मल बो ॥१०॥ [ १५१ ]Page Navigation
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