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स्थान परिचय
श्रोधर केवलि शिवगये, कुण्ड :गि म । धारा वर्षा योग उन, नरणन में इस वर्ग ।। 'बई बाबा" बड़ी कृपा नी मुभ मानी ! पूर्ण हुई मम कामना पा र जिन-
पाप ।' ।
मग गगनगति गध की भाद्रपदी मातीज । पूर्ण हुअा यह ग्रन्थ है भर मल बो ॥१०॥
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