Book Title: Jain Dharm Prakash 1923 Pustak 039 Ank 12
Author(s): Jain Dharm Prasarak Sabha
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 44
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 'लगंजरी...भा. १ लो। साहित्यनो अनुपमग्रंथ । श्रासढ़ कविनी अमूल्य प्रसादी । २-०-० : बाथ चरित्र, अंग्रेजी गरिकाना विद्वाने अनुवाद करी छपावल छ । अंग्रेजी जैन ग्रंथों वांचवानो के संग्रहबानो शोख होय तो वगर विलंब मंगावो। १२-०-० ५) उत्तराध्ययन सूत्र अंग्रेजी विस्तृत प्रस्तावना अने मूल ग्रंथ संस्कृत टाईपमा। पाठान्तरो सहित । विलायतमा छयायेल, बे भाग । २२-०-० ८ सूरीश्वर अने सम्राट__ पहेली आवृत्ति खपी गई अने वीनी अावृति अनेक सुधारा-वधारा साधे सदर पड़ी, एज एनी उत्तमता । अकवर अने जहांगीरे जैनोने आपला छ अप्रसिद्ध मानो, अकबर अने जहांगीरनां चित्रो, श्रीहीरविजयसरि महाराजनी ते वखवन्नी शिनो फोटू भने हरिविजयसूरिना विहारनो नकशो-आ वस्तु या ग्रंथनी उपयोगिता अने शोभामां वधारो करी रया छ । उत्तम एन्टीक कागलो ऊपर अने मुंदर कपड़ाना पाका बाइडिंग साथे वहार पड़ेल छे । ( एन. एम. त्रिपाठी कालवादेवी, मुंबई अने जीवनलाल अमरशी म्हेता, पीरमशा रोड, बामदाबाद एमने त्यांची पण या ग्रंथ मली शकशे । ३-८-० । सूरीश्वर अने सम्राट अकबर हिन्दी-- ऊपरनाज ग्रंथनो आ हिन्दी अनुवाद छ । पानी प्रस्तावना अजमेर म्यूझिमिना यूरेटर हिंदी साहित्यना वयोवृद्ध ज्ञानवृद्ध प्रसिद्ध लेखक रायबहादुर पंडित गौरीशंकर हीराचंद ओझा महाशये लखी छे । ४ ८-० ऐतिहासिक राससंग्रह भा० १ लोअपरनां पुस्तकोगांधी कोई पण एक पुस्तक मंगावनापने प्रा ग्रंथ भेटमा गपाल नामव्यु छ। :: निहासिक राससंग्रह भा० ३ जो-- For Private And Personal Use Only

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