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गए. इतनेही में एक आदमी झाति कत्री ज्योकि मांस अहारी था उसके दी समें देवी आकर वेबने बगी. जव श्रीमान तहसीलदार साहब कार जोड़क देवीमें प्रश्न किया----हे जगदम्बा तेरे दरबार में वेगुना बेजुबान जानवर का होते. जोराका वदवा कौन देगा ? जब देवीने नतर दीपा की--येझोग मेर नाम बदनाम करते है. नतो मेरा भदा ( खाना ) है, न दान है. ये लोग परे पेट भरने के लिये करते है. और देवी ये उपदेश विया के "मो यात्रीयो देखो. अपनी जान अपनेको नैसी प्यारी है वैसी दूसरोकि जान मार झो. या तुम्हारी मृखाई के अपने बेटे बेटीकी ग्वेरवे निये मनत लेना और विकारे गरीव जानवरोंको माग्ना. नहीं नाईयो इसमें तुम्हारी ही है, देखो जाहिर प्रेग दुःकाल वगेरा खरा वियं यह मा कार्ग जीवहिंपास होन. वयह तुम्हार। मुर्खाइकोकि मुझे जगदम्बा नाही हो. अगर जगदम्बः म तो बया जानवर जगतसं बहार है. वम बार यहां आजगे कई एसा कोरगा नसके काय तुनसान होगा. मेरे यहां खोर पुदी वी नहाना. और उयो बांग पनवाले जानवर लाए है उनके कानों दिनाकर गरे नाग लदा. " नामक की ६०० वी पुरुपये, इस कार्य का धन्यवाद उत्त.महाग रया श्री देव जीको हार्दीक धन्यवाद देता हूं. और आज महागजाआकि. रे काय काय ने दन करताहुं की उक्त देवी के सत्य उपदेशप बद देकर निर्दोष अदाका ([. गा ) बेजुबानकि नेक दुवा प्राप्त करेगें. इति.
काकावारा चंपालालजी चाखचंद देवलिया (मावा).
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