Book Title: Jain Dharm Gyan Prakashak Pustak
Author(s): Nana Dadaji Gund
Publisher: Nana Dadaji Gund
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बुद्धाणं, बोहयाणं, मुत्ताणं, मो गाणं, सवनूगं सवदरसिणं, सिवमयल मरुय मांत मखय महाबाह, मपुणराविति सिद्दिगई, नामधेयं, ठा णं संपत्ताणं नमोजिलाएं जीवनयाएं |
प्रथ सामायक पारवानी पाटी लिख्यते नवमा सामायक वेरमान व्रतके विखे जे को ई अतिचार लागो होय ते आळवं ॥ सामायकमे मन बचन कायाना जोग पारुवा ध्यान परिवरताया होय ॥ सामायकमे समता न कीनी होय पुगी पारि होय || दस मनका दस बचनका बारे कायाका बत्तीस दोख माहेलो दोख लागो होय तस मिचामि दुक्कडं ॥ ६ ॥ सामायकमे राजकथा देसकथा स्त्रीकथा नातकथा चारकथा माह्यलीविगता कीनी होय त समिवामि दुकडं - सामायकना पचखाण || फा सियं पारियं तिरियं ॥ किटियं सोहियं राहियं ॥ पालियं जंचना पालियं तसमिष्ठामि दकमं ॥ इतो कहींने तीन नवकार कावा कहीने सामायक ठिकाणे करवी ॥
॥ इति सामायक व्रत विधि समाप्त ॥

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