Book Title: Jain Darshan aur Anekanta
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 9
________________ अनेकान्त १. द्वैतवाद २. स्याद्वाद और जगत् ३. विचार की आधारभित्ति : नयावाद सद्वाद ४. स्याद्वाद और जैन- दर्शन ५. आत्मवाद ६. आत्मवाद के विविध पहलू ७. कार्य-कारणवाद ८. ईश्वरवाद : कर्मवाद ९. नियमवाद १०. निर्वाणवाद ११. पुनर्जन्मवाद १२. अनेकान्तवाद १३. नैतिकता की धारणा अनुक्रम Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only १-८२ a y a w ११ २८ ५९ ६६ ८३-१५५ ८५ ९३ १०३ ११२ १२३ १३३ १३९ १४७ १५५ www.jainelibrary.org

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