Book Title: Jain Darshan Ke Pariprekshya Me Aadipuran
Author(s): Supriya Sadhvi
Publisher: Bharatiya Vidya Prakashan

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Page 6
________________ “जैन दर्शन के परिप्रेक्ष्य में आदिपुराण एक समीक्षात्मक अध्ययन" इस विषय पर परम विदुषी महासाध्वी श्री सुप्रिया जी महाराज ने पंजाब विश्वविद्यालय, चण्डीगढ़ से पीएच.-डी. हेतु शोध-प्रबन्ध लिखा। महासाध्वी जी ने पुरातन ग्रन्थों में शोध करके पुरातन जैन पुराणों में कथाओं के माध्यम से धार्मिक जीवन के विविध पक्षों को राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, दार्शनिक आदि विषयों की सुविस्तार चर्चा को साररूप में ग्रहण कर आदिपुराण अर्थात् महापुराण पर शोध किए हैं, और यह गूढ़ विषय जन सुलभ कराया है एतदर्थ हार्दिक साधुवाद। _पिछले अनेक वर्षों से जैन आगम एवं पुराणों पर जो शोध कार्य हो रहा है वह महत्त्वपूर्ण है। प्रस्तुत शोध कार्य में महासाध्वी श्री सुप्रिया जी महाराज ने जो समीक्षात्मक/वैज्ञानिक एवं प्रयोगात्मक रूप से चिन्तन मनन करते हुए अनुशीलन किया है वह बहुत ही प्रेरणास्पद एवं हृदयस्पर्शी है। आपका परिश्रम स्तुत्य एवं अभिनन्दनीय है। विदुषी साध्वीजी भविष्य में अपनी प्रज्ञा से साहित्य को समृद्ध करेगी। यह शोध ग्रन्थ जन-जन को वीतरागता की ओर अग्रसर करे एवं शोधार्थियों के लिए प्रेरणादायी बने। उग्रतपस्विनी महासाध्वी श्री सुमित्रा जी म., तप्ततपस्विनी महासाध्वी श्री संतोष जी म. की प्रेरणा एवं - आशीर्वाद से यह कष्ट साध्य कार्य पूर्ण हुआ। हम अखिल भारतवर्षीय श्वे. स्था. जैन श्रमण संघ की ओर से महासाध्वीजी एवं इनके मार्गदर्शक को हार्दिक साधुवाद करते हैं। पाठक-गण इसका स्वाध्याय कर आत्म-ज्ञान की ओर बढ़ें, यही मंगल मनीषा। सहमंगल मैत्री, - आचार्य शिवमुनि

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