Book Title: Jain Darshan Chintan Anuchintan Author(s): Ramjee Singh Publisher: Jain Vishva Bharati View full book textPage 5
________________ चार विद्या और अहिंसा की संस्कृति की आर आकर्षण बढ़ रहा ह लाकन साथसाथ यह दुर्भाग्य है कि जैन-विद्या के विद्वानों की आज बड़ी कमी है । अतः सामान्य रूप से भारतीय समाज का और विशेष रूप से जैन समाज का यह दायित्व है कि जैन - विद्या, प्राकृत, अनेकांत और अहिंसा आदि के विद्वानों को तैयार किए जाये । दो वर्षों में ४-५ विद्वान् भी तैयार किये जा सकें तो सार्थकता सिद्ध होगी । जैन केन्द्रों में जैन विश्व भारती अपने विद्वानों को भेजकर एक सांकृतिक क्रांति का श्रीगणेश करे। यही नहीं जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय इस स्तर का बने ताकि दूसरे- दूसरे देशों के विद्यार्थी भी यहां आ सकें । प्रशिक्षण और प्रयोग को भी यहां प्राथमिकता मिलनी चाहिए ताकि एक आध्यात्मिक वैज्ञानिक व्यक्तित्व के निर्माण की यह कार्यशाला बन जाये । इसलिए जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय के लाभ-हानि का तलपट वर्ष ओर महीने का नहीं, कम से कम एक शताब्दी का बनना चाहिए ।' आकार में छोटी किन्तु प्रकार में बृहत् पुस्तक जैन दर्शन के अनेक पार्श्वों और परिपार्श्वो की जानकारी देने में उपयोगी बनेगी, यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है । Jain Education International For Private & Personal Use Only आचार्य तुलसी युवाचार्य महाप्रज्ञ www.jainelibrary.orgPage Navigation
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