Book Title: Jain Darshan Author(s): Nyayavijay, Publisher: Shardaben Chimanbhai Educational Research Centre View full book textPage 5
________________ में आधिकारिक व अध्ययनपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा वैसा हमारा विश्वास है। हम पूज्य आचार्य भगवंत, पूज्य मुनि भगवंत, ज्ञानभंडार, पुस्तकालय के संचालक व पुस्तक विक्रेताओं से नम्र निवेदन करेंगे कि प्रस्तुत ग्रंथ के प्रचार-प्रसार में हमें योगादन दें । हिन्दी भाषी नयी पीढ़ी तक जैन धर्म का ज्ञान पहुँचाना अति आवश्यक है तकनीकी विज्ञान का दौर अपनी चरम सीमा पर होते हुए भी, दृश्य-श्राव्य और वर्चुअल रियालिटी (आभासित वास्तविकता) से भरे इस युग में पुस्तक का महत्त्व अपनी जगह पर कायम है। धर्म-तत्त्वज्ञान, परंपरा व संस्कारों को समझने-स्वीकार ने के लिए पुस्तकों का अध्ययन अनिवार्य रहेगा । प्रकांड विद्वत्ताव प्रचंड प्रतिभा के धनी दिवंगत मुनिश्री की यह रचना वास्तव में कालजयी है । जैन संघ व समाज उनका ऋणी रहेगा । जितेन्द्र बी. शाह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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