Book Title: Jain Darm Me Karmsiddhant Ek Anushilan Author(s): Bhaktisheelashreeji Publisher: Sanskrit Prakrit Bhasha Bhasha Vibhag View full book textPage 6
________________ चूर्णि ६२, टब्बा ६२, समीक्षा ६३, टीका ६३, श्वेतांबर दिगंबर परिचय ६४, दिगंबरों के सर्वमान्य शास्त्र ६४, षट्खण्डागम ६५, षट्खण्डागम पर व्याख्या साहित्य ६६, धवला की रचना ६६, कषायपाहुड (कषायप्राभृत) ६६, तिलोयपन्नत्ति (तिलोकप्रज्ञप्ति) ६७, आचार्य कुंदकुंद के प्रमुख ग्रंथ ६७, पंचास्तिकाय ६७, प्रवचनसार ६८, समयसार ६८, नियमसार ६९, रयणसार ६९, दिगंबर परंपरा में संस्कृत रचनायें ६९, निष्कर्ष ६९, संदर्भ सूची ७१, द्वितीय प्रकरण ७५-१२२ कर्म का अस्तित्व आत्मा का अस्तित्व : कर्म अस्तित्व का परिचायक · इन्द्रभूति गौतम की आत्मा विषयक शंका और निराकरण ७८, ज्ञानगुण के द्वारा आत्मा का अस्तित्व ७८, जहाँ आत्मा वहाँ ज्ञानगुण ७८, शरीरादि भोक्ता के रूप में आत्मा के अस्तित्व की सिद्धि ७९, परलोक के रूप में आत्मा की सिद्धि ७९, शरीरस्थ सारथी के रूप में आत्मा के अस्तित्व की सिद्धि ७९, उपादान कारण के रूप में आत्मा की सिद्धि ७९, आगम प्रमाण से आत्मा के अस्तित्व की सिद्धि ८०, आत्मा का असाधरण गुण : चैतन्य ८०, जहाँ कर्म वहीं संसार ८०, आत्मा की दो अवस्थाएँ ८१, संसारी (अशुद्ध) दशा का मुख्य कारण : कर्म ८२, कर्म अस्तित्व के मूलाधार : पूर्वजन्म और पुनर्जन्म ८३, पूर्वजन्म और पुनर्जन्म क्यों माने? ८४, पूर्वजन्म और पुनर्जन्म के समय शरीर नष्ट होता है आत्मा नहीं ८५, प्रत्यक्ष-ज्ञानियों द्वारा कथित पूर्वजन्म-पुनर्जन्म वृत्तान्त ८६, प्रत्यक्ष-ज्ञानियों और भारतीय मनीषियों द्वारा पुनर्जन्म की सिद्धि ८८, ऋग्वेद में कर्म और पुनर्जन्म का संकेत ८८, उपनिषदों में कर्म और पुनर्जन्म का उल्लेख ८९, भगवद्गीता में कर्म और पुनर्जन्म का संकेत ८९, बौद्ध दर्शन में कर्म और पुनर्जन्म ९०, न्याय-वैशेषिक दर्शन में कर्म और पुनर्जन्म ९१, अदृष्ट (कर्म के साथ ही) पूर्वजन्म-पुनर्जन्म का संबंध ९१, सांख्य दर्शन में कर्म और पुनर्जन्म ९२, मीमांसा दर्शन में कर्म और पुनर्जन्म ९२, योगदर्शन में कर्म और पुनर्जन्म ९२, महाभारत में पूर्वजन्म और पुनर्जन्म ९२, मनुस्मृति में पुनर्जन्म के अस्तित्व की सिद्धि ९३, पूर्वजन्म के वैर विरोध की स्मृति से पुनर्जन्म की सिद्धि ९३, आत्मा की नित्यता से पूर्वजन्म और पुनर्जन्म की सिद्धि ९३, पाश्चात्य दार्शनिक ग्रंथों में पुनर्जन्म ९४, पूर्वजन्म और पुनर्जन्म मानव जाति के लिए आध्यात्मिक उपहार ९५, परामनोवैज्ञानिकों की दृष्टि से पुनर्जन्म और कर्म ९६ पुनर्जन्म की सिद्धि के साथ-साथ आत्मा और कर्म के अस्तित्व की सिद्धि ९७, जीते जी पुनर्जन्मों का ज्ञान एवं स्मरण ९८, प्रेमात्माओं का साक्षात् संपर्क : पुनर्जन्म की साक्षी ९९, जैन दर्शन की दृष्टि से प्रेतात्मा के लक्षण एवं स्वरूप १००, प्रेतात्मा द्वारा प्रिय पात्र की अदृश्य सहायता १०१, फोटो द्वारा सूक्ष्म शरीर का अस्तित्व १०१, पुनर्जन्म सिद्धांत की उपयोगिता १०२,Page Navigation
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