Book Title: Jain Chitrakalpadrum
Author(s): Sarabhai Manilal Nawab
Publisher: Sarabhai Manilal Nawab
View full book text
________________
anyone
उनक
Jain Education International
समकालि
aa
कलया
विमा
AIMS CONCH TE
ESCHENKE
firmati
ચિત્ર પેજ વિધાર યુવતક
सनिर्मिदीप दे
सबकन
इसि
पुरवास
साशुरता। सीमा
अपरशाया करीमानागीनंदनी पराजिनत्राणे आप। सेबोसो जसजा जाकर शावाला जागराम
जनता।
मारते
विजय पर घलचालीमा साइपरकेरामधनी यी नारनामेघनारे वीनतीना सीएमबी मतामा नोटरी गोद दिवाकरुबलिहारी साहिबसूरत लागणार जनमनमा सामा दातेगड
म
प्रशने दा दिसाभिज्य
परिपाटलगत
5
पिसासज
जगीसव श्रीराम
करीमुनि राजप विग्रदीनपरिन
रोगीले
विमारी हो मुखिया
जागरा रेडी
श्रावक लोक श्री गुरुचा कचार जिरदि कोकसनेद इंडि प्रेमपधारोगह
ज
सरपटवा लवारे इंतरिवारा ग मीरेनाशणोदार लागीगोदर हियानीवन जीयानी करमिनि किम सिर्व मि
उनके शातिर प
कोपर
मनमा लाग
कागतमा सेव
मोरोसपेराज गहरे जमनापा
देशात जेट
लस।।
विजयादारीको स कणोमन मोटनपास दादर धमित इरापाल समरूप पतिसंघीय जागा "ताती रिमिता से ज मिश्रयतश मेननामि निवाज दिनदिन
जैसवाद रखविणे
दुमारला कंसाशिन व निषिधा रिक्ति निभिधा
जपनइ
दीपस स्ति
किदवई संगवनते
गवालय सर
वारवादनका
For Private & Personal Use Only
an
माताजी भीमरा
ચિત્ર ૧૬-૧૭ લેખકની પુસ્તક લખવાની નિપુતાને લીધે દેખાતી અક્ષરાકૃતિ
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158