Book Title: Jain Charitra Kosh Author(s): Subhadramuni, Amitmuni Publisher: University Publication View full book textPage 6
________________ दो शब्द साहित्य की विविध विधाओं में कहानी (चरित्र) सर्वाधिक सरस, सरल और सुगम" विधा है। इसमें पठित, अपठित, बाल-युवा-वृद्ध सभी का समान रूप से प्रवेश होता है। कहानी की कई विशेषताओं में प्रथम विशेषता यह है कि सुनते- पढ़ते ही यह स्मरण हो । जाती है। इसे स्मरण करने के लिए अतिरिक्त बौद्धिक व्यायाम की अपेक्षा नहीं होती है। में दूसरी प्रमुख विशेषता कहानी की यह है कि उससे पाठक/श्रोता को सद्संस्कारों और । " सुशिक्षाओं का अमूल्य उपहार सहज ही प्राप्त हो जाता है। यही कारण है कि जीवन । विकास के प्रथम पल से ही विश्व मानव में कहानी के प्रति सहज आकर्षण रहा है। प्रारंभ में कहानी श्रवण का विषय रही। कालांतर में लेखन और पठन का विषय में बनी। ऐतिहासिक तथ्यों का यदि अनुशीलन किया जाए तो जैन परम्परा में एक हजार से वर्ष से भी अधिक समय पूर्व कथा-कहानी का साहित्यिक लेखन प्रारंभ हो गया था जो अद्यतन गतिमान है। वर्तमान में कथाओं, कहानियों और संक्षिप्त चरित्रों की सैकड़ों पुस्तकें । , जैन परम्परा में उपलब्ध हैं। पर ऐसा कोई ग्रन्थ दृष्टि में नहीं आया जो जैन परम्परा में प्रचलित सभी प्रमुख कहानियों को एक ही कलेवर में उपलब्ध कराए। इस रिक्तता को । श्रद्धेय गुरुदेव आचार्य श्री सुभद्र मुनि जी ने प्रस्तुत ग्रन्थ के माध्यम से पूर्ण कर एक ऐतिहासिक और प्रशंसनीय कार्य किया है। पूज्य आचार्य श्री ने सैकड़ों आधार ग्रन्थों का । । अध्ययन कर प्रस्तुत विशाल चारित्र ग्रन्थ का प्रणयन किया है। अत्यन्त संक्षिप्त शैली रखते हुए भी पूज्य श्री ने चित्रित चरित्र के समस्त पक्षों को स्पर्श करने का सफल प्रयास ( किया है। ____ कथा और चरित्र ग्रन्थों की श्रृंखला में प्रस्तुत 'जैन चरित्र कोश' अपना एक विशिष्ट स्थान बनाएगा ऐसा विश्वास है। - डॉ. महेश जैन सोपाल - - - जैन चरित्र कोश 1.Page Navigation
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