Book Title: Jain Aachar Mimansa Author(s): Sagarmal Jain Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur View full book textPage 9
________________ जैन धर्म एवं दर्शन-471 जैन- आचार मीमांसा-3 होता है और दूसरा आन्तरिक। दूसरे शब्दों में एक ओर व्यक्ति का बाह्य आचरण होता है और दूसरी ओर आचरण की प्रेरक और निर्देशक चेतना होती है। एक ओर नैतिकता का साध्य होता है, दूसरी ओर उस साध्य की प्राप्ति का मार्ग / उसी प्रकार हमारे नैतिक निर्णय भी दो प्रकार के होते हैएक वे जिन्हें हम स्वयं के संदर्भ में देते है, दूसरे वे जो दूसरों के बाह्य आचार को देखकर के उनके सन्दर्भ में देते है। नैतिक निर्णय की सापेक्षता और निरपेक्षता जहाँ तक नैतिकता के बाह्य-पक्ष, अर्थात् आचरण या कर्म का सम्बन्ध है, वह निरपेक्ष नहीं हो सकता। सर्वप्रथम तो व्यक्ति जिस विश्व में आचरण करता है, वह आपेक्षिकता से युक्त है। जो कर्म हम करते हैं और उसके जो परिणाम निष्पन्न होते हैं, वे मुख्यतः हमारे संकल्प पर निर्भर न होकर उन परिस्थितियों पर निर्भर होते हैं, जिनमें हम जीवन जीते हैं। बाह्य-जगत् पर व्यक्ति की इच्छाएँ ही नही, अपितु देश कालगत परिस्थितियाँ भी शासन करती हैं। पुनः, चाहे मानवीय-संकल्प को स्वतन्त्र मान भी लिया जाए, किन्तु मानवीय-आचरण को स्वतन्त्र नहीं माना जा सकता है, वह आन्तरिक और बाह्य परिस्थितियों पर निर्भर होता है, अतः मानवीय-कर्म का सम्पादन और उसके निष्पन्न, परिणाम-दोनों ही देश, काल और परिस्थिति पर निर्भर होंगे। कोई भी कर्म देश, काल, व्यक्ति, समाज और परिस्थिति से निरपेक्ष नहीं होगा। हमने देखा कि भारतीय-चिन्तन की जैन, बौद्ध और वैदिक-परम्पराएँ इस बात को स्पष्ट रूप से स्वीकार करती हैं कि कर्म की नैतिकता निरपेक्ष नहीं है। पुनः, नैतिक-मूल्यांकन और नैतिक-निर्णय उन सिद्धान्तों और परिस्थितियों पर निर्भर करते हैं, जिनमें वे दिए जाते हैं। सर्वप्रथम तो नैतिक मूल्यांकन व्यक्ति और परिस्थिति से निरपेक्ष होकर नहीं किया जा सकता, क्योंकि व्यक्ति जिस समाज में जीवन जीता है, वह विविधताओं से युक्त है। समाज में व्यक्ति की अपनी योग्यताओं एवं क्षमताओं के आधार पर एक निश्चित स्थिति होती है, उसी स्थिति के अनुसार उसके कर्तव्य एवं दायित्व होते हैं, अतः वैयक्तिक दायित्वों और कर्तव्यों में विविधता होती है। गीता का वर्णाश्रमधर्म का सिद्धान्त और ब्रैडले का 'मेरा स्थान और उसके कर्तव्य' का सिद्धान्त एकPage Navigation
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