Book Title: Jagdusaha Chand Author(s): Kantilal B Shah Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 4
________________ 71 · कंडीना केटलाक वाक्यखंडो स्पष्ट थता नथी. छेल्ली कडी 'कलश'नी छे. एमां संवत १३१५ना दुष्काळनी स्थितिनुं चित्रण छे. ज्यारे आ दुष्काळ काळ बनीने आवी लाग्यो त्यारे माबापोए बाळकोने पण अळगां कर्यां. त्यारे आ श्रीमाणी (जगडूशा ) ए करेलुं अन्नदान दीपी कठ्युं. अनर्गळ पुण्य प्राप्त करनार आ जगडूशा पासे राजाओए पण अनाज माटे हाथ लंबाव्या. जगडूशाए कनकगिरि गढ कराव्यो अने शंत्रुजय पर्वत पर संघ लई गया. आम एमना जीवननी केटलीक ऐतिहासिक घटनाओ उल्लेखी कवि काव्य समाप्त करे छे. जो के कविए छंदनो नामनिर्देश कर्यो नथी, पण आरंभनी कडी बेअक्षरी आर्या छंदमां छे. ओमां प्रत्येक चरणनी १६ मात्रा छे अने बब्बे चरणना चरणान्त चतुष्कलना प्रास मळे छे. 'नामह ठामह', कीधी-लीथी. ते पछीनी कडी १ थी ४ लीलावती छंदमां छे. प्रत्येक कडी चार चरणनी छे. जोके पहेली कडीनी आगळ कविए तो मात्र 'छंद:' एटलो ज निर्देश कर्यो छे पण चरणनी ३२ मात्रा अने १०, ८, १४ मात्राना त्रण यतिखंडो सूचवे छे के आ कडीओ लीलावती छंदमा छे. आ कड़ीओनुं गेयतत्त्व अचूक ध्यान खेंचशे. 'कलश कवितं' शीर्षक साधे पळती पांचमी कडी छप्पयमां छे. एनां पहेला चार चरण रोळानां अने छेल्लां बे चरण उल्लालानां छे. रोळा ११+१३ २८ मात्रानो बनेलो छंद छे. २४ मात्रानो अने उल्लाला १५+१३ = आ कृति हजी अप्रगट छे. ( २ ) बीजी कृति बे कडीनी छे. एने लेखनकारे 'जगडूसाह कवित्तयुगल' तरीके ओळखावी छे. पहेली कडीमां, जुदा जुदा देशना राजवीने जगडूशाए केटलुं अनाज आपीने मदद करेली एनुं आलेखन छे. ( गुजरातना राजा) वीशलदेवने आठ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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