Book Title: Jagdusaha Chand Author(s): Kantilal B Shah Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 1
________________ जगडूसाह - छंद - सं. कांतिभाइ बी. शाह ( अमदावाद) प्रतपरिचय ला. द. भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर, अमदावाद - हस्तप्रत सूचिक्रमांक ५०६८. आ प्रतनां कुल १४ पत्र छे. एमां सहजसुंदर कृत 'गुणरत्नाकर छंद' कृति लखवामां आवी छे. छेल्ला १४मा पत्नी पाछली बाजुए त्रीजी लीटीए "गुणरत्नाकर छंद' पूरो थाय छे. ते पछीनी १६ लीटीमां खूब ज झीणा अक्षरोमां 'जगडूसाह छंद'नी बे नानी (१+५-६ कडीनी अने २ कडीनी) कृतिओ लखवामां आवी छे. पत्रना पानानी लंबाई २४.५ से.मि. छे तथा पहोळाई ११.० से.मि. छे. आ पाना पर बन्ने बाजु २.० से.मि. जेटलो हांसियो छे; अने उपर-नीचे १.० से.मि. जेटली जगा छोडेली छे. पत्रमा वच्चे कुंड आकृति करी कोरी जगा छोडी छे ने एमां चार अक्षरो पूरेला छे. एक लीटीमा ४४थी मांडी ५४ अक्षरो छे. अक्षरो झीणाने गीच लखाया छे, पण सुवाच्यने मरोडदार छे. 'ख' माटे 'ष' चिहन मळे छे. उदाहरण तरीके 'कोए भूष्यो'. 'देशी पसरिउ' मांना 'दे'मां पडिमात्रानो उपयोग थयो छे. आ कृतिओनी नीचे लेखनसंवत नथी. पण एनी आगली कृति 'गुणरत्नाकर छंद'नी पुष्पिकामां लेखन संवत १६७० अपाई छे. एटले एनी नीचेनी आ कृतिओ पण सं. १६७० मां अथवा ते पछीना नजीकना समयमां लखाई होवानी पूरी संभावना छे. पहेली कृतिना आरंभे भले मींडु करवामां आव्युं छे. -X--X-- वाचना (१) भद्रेसर कणयग्गिरि नामह, वसई साह जगडू तिणि ठामह, सात यात्र शेर्बुज गिरि कीधी, पुण्य उगारि एणी परि लीधी. । १॥ छंद: ये लीधी ऊगारिह सोलंऽगोभव कण कोठारह भरे घणउं. असमय जिणई दकवी साह सरग्वी बीज ऊगारि मनुष्य तणारं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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