Book Title: Itihas Me Bhagwan Mahavir ka Sthan
Author(s): Jay Bhagwan
Publisher: A V Jain Mission

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Page 14
________________ धर्म मध्ययुगमें श्रवण बेनगोल और कारकल की विशालकाय गोम्मटेश्वरकी मूतियों और अाबू पर्वत के दिलवाड़ा मन्दिर, चित्तोड़गढ़ के जैनकीर्तिस्थम्भ जैसे लोक प्रसिद्ध स्मारकों को पैदा कर सका है । और समन्तभद्र सिद्ध-चेन दिवाकर, सिद्धसैन गणि, पूजयपाद देवनन्दी, अकलंक-देव, विद्यानन्दी, वारसैन, जिनसैन, सोमदेव, माणिक्यनन्दी, प्रभाचन्द्र, हेमचन्द्र, हरिभद्रसूरी, नेमीचन्द्र सि. चक्रवर्ति आदि रचित अनेक साहित्य और दर्शनशास्त्र के अमूल्य रत्नों को जन्म दे सका है। . जैनधर्म और वाहिर के देश जैनधर्मको न केवल भारतमें, वल्कि भारतसे पाहिंर के देशों से भी सम्पर्क रखने, वहाँ पर सन्मान पाने और वहाँ के संस्कृकि-प्रबाहको प्रभावित करने का सदा गौरव प्राप्त रहा है। महावंश' नामक बौद्धग्रंथसे साबित 1 Prot Buhler, An Indian sect of the Jaiu is p. 37 १ हवाग स्वांग ने सातवीं सदी में मध्यएशिया के जिस (Caspin) नगर में अनेक निग्रंथ साधुओं को देखा था, उसी नगर में सिकन्दर के यूनानियों ने भी अनेक निग्रंथ साधुओं को देखा। २ श्राद्र कुमार नामका राजकुमार ईरान देश का वासी था। वह भगवान महावीर द्वारा जैन धर्म में दीक्षित हुअा था, उसने ईरान देश में जाकर जैन धर्म का प्रचार किया और जैन मूर्तियों की स्थापना कराई। ३ Pythagoras ५८० ईमवी पूर्व में पैदा हुए थे इसके अनुयायी एशिया माईनर में आयोनियन सम्प्रदाय के थे । मध्य एशियाके कैसपिम, श्रमम समरकन्द, बलख आदि नगरों में जैन धर्म का प्रचार रहा है । ४ Dr. B. C. Law-Historical Gleanings. p 42. . (श्रा) पं० सुन्दरलाल-किवश्वाणी अप्रैल १९४२p.४६४ (इ) Sir William James-Asiatic Researchesvol III p.6: (ई) Megasthenes -Ancient India p. 104 (उ) बा० कामता प्रसाद-दिनम्बरत्व और दिगम्बर मुनि पृ० १११ ११३, २४३

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