Book Title: Ishtopadesh
Author(s): Pujyapadswami, Kalyanbodhisuri
Publisher: Jinshasan Aradhak Trust

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Page 163
________________ परिशिष्ट - २ श्री रावजीभाई देसाई कृत इष्टोपदेश गुर्जरानुवाद | मंगलाचरण अनुष्टुप छंद अपूर्व तत्त्वदृष्टिना, दाता सद्गुरु राजने; नमी इष्टोपदेशे आ, रमुं साधुं स्वकाजने । पूज्यपाद सूरिवर्ये, रच्यो इष्टोपदेश आ; रमावी आत्मवृत्ति त्यां, मोक्षार्थी श्रेय साधता ॥ ग्रन्थारंभ सर्व कर्मो हणी पोते, पाम्या आत्मस्वभावने; केवलज्ञानरूपी ते, नमुं सत् परमात्मने स्वर्णपाषाण सुहेतु पामी सोनुं बनी रहे; सुद्रव्यादि तणा योगे, आत्मा शुद्धात्मता लहे व्रतो आपे सुखो स्वर्गे, अव्रतो नरके दुःखो; छांये तापे उभा बेनो, भेद मोटो अहो लखो ! आत्मभाव यदि मोक्ष आपे स्वर्ग विसात ना; कोश बे जे लई जाये, क्रोशार्धे थाय म्हात ना 11211 ॥२॥ ॥३॥ 11811

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