Book Title: Hidayat Butparstiye Jain
Author(s): Shantivijay
Publisher: Pruthviraj Ratanlal Muta

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Page 29
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gynam Mandir २६ हिदायत बुतपरस्तिये जैन. भी ज्ञान होगा, जैसे जंबूद्वीपका नकशा देखकर जंबूद्वीपका ज्ञान होता है, जिनेंद्रकी मूर्त्ति देखनेसे जिनेंद्रोंके गुणोका ज्ञान होगा, ज्ञातासूत्रमें बयान है कि- मल्लिनाथजी की मूर्ति देखकर छह राजाओको जातिस्मर्ण ज्ञान हुवा, जैसे किसी शख्शकी मूर्ति देखकर वो याद आजाता है, जिनेंद्रो की मूर्ति देखकर जिनेंद्रदेव क्यों न याद आयेंगें ? कई शहरोमें राजेमहाराजोकी मूर्त्ति बतौर याददास्तीके खड़ी कि जाती है, हुंडी एकतरहकी स्थापना हैं, और ऊससे रुपये मीलसकते है, देखिये ! स्थापना कितनी आलादर्जे की चीज है, इस बातपर गौर करो. रजोहरण-मुखवस्त्रिका जैनमुनिका वेश है, उनकों धारण करनेवाले जब दिखाई दिये कि तुर्त दुसरोके दिलमें मुनि याद आजाते है, इसी तरह जिनेंद्रो की मूर्ति देखकर जिनेंद्र याद आ जाते हैं, अगर कोई कहे सिंहकी मूर्ति किसीकों मारती नही, वैसे जिनेंद्रकी मूर्त्ति किसीको तारती नही, जवाब में मालुम हो, सिंहकी मूर्ति देखने से जैसे सिंह याद आजाता है, और दिलमें एक तरहका खोफ भी दरपेश होजाता है, वैसे जिनेंद्रकी मूर्त्ति देखने से जिनेंद्र याद आजाते है, और दिलमें वैराग्य भावना पैदा होजाती है, सबुत हुवा मूर्त्ति ऊस चीजकी यादी दिलाने में एक फायदेमंद चीज है, नरकके जीवोके और स्वर्गके जीवो के चित्र देखकर आदमी ताज्जुब करने लगता है, देखिये ! चित्रोने कितना असर पहुचाया, जिसके देखनेसे स्वर्ग-नरक याद आगये, चित्रभी एक areकी स्थापना है. सौचो ! स्थापनायें कितनी बडी ताकात रही है, गेरमुल्कसें आई हुई चीटीके वांचने से घर बैठे सबहाल मालुम होसकते है, कहिये ! हमें कितनी ताकात रही हुई हैं ? ऊसपर खयाल किजिये ! दरअसल ! हर्फ ज्ञानकी स्थापना हैं, और वो स्थापना पुरा काम देती हैं. For Private And Personal Use Only

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