Book Title: Hidayat Butparstiye Jain Author(s): Shantivijay Publisher: Pruthviraj Ratanlal Muta View full book textPage 2
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gynam Mandir INDEX.VEVIESANLEAVENXNX.SPESALEVEANVAR कहिदायत बुतपरस्तियेजैन.. जिसको जैनश्वेतांबर धर्मोपदेष्टा-विद्यासागर-न्यायरत्न महाराज-शांतिविजयजीने मुरतिब किया. मुकाम-निपाणी S इसमें मुनि कुंदनमलजीके लेखका जवाब और मूर्तिपूजाके बारेमे उमदा दलिले दर्ज है. oras [इसको शेठ पृथवीराजजी रतनलालजी मुता-साकीन आकोलामुल्क बराडने फायदे जैनश्वेतांबरसंघके छपवाकर जाहिर किया. .6539623099ACJaLoo.30 प्रथम आवृति (२०००), (दोहा.) क्यों किजे ऐसा जतन-याते काज न होय, पर्वतपर खोदे कुवा-कैसे निकले तोय. मन चिंते बहु जीव यह-उदय बडा बलवान्, क्रोड उपाव करे कोउ-फले कृतकर्म निदान. १ MAGE अहमदाबाद-धी " डायमंड ज्युबिली” प्रिन्टिग प्रेसमें परीख देवीदास छगनलालने छापा. (संवत् १९७३.) मूल्य ०-४-.. (सन १९१६.) SYC SICOM EDY MICRO P HOJowa... ०८. JOUSE For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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