Book Title: Hemchandrika Vyakaranam Author(s): Vijaylavanyasuri Publisher: Gyanopasak Samiti View full book textPage 8
________________ - प्रकाशकीय निवेदन - श्री विजयनेमिसूरीश्वरग्रन्थमालाना ५८ मां रत्न तरीके श्रीहेमचन्द्रिका व्याकरण प्रकाशित करता अनेरो भानन्द अनुभवीये छीओ। भारतीय साहित्य- अवलोकन करवा माटे संस्कृत भने प्राकृत बेबे विमल नयन छ । प्रकाण्डप्रतिभासम्पन्न साक्षरगणे व्याकरणशास्त्रनी महत्तामा प्रमाणे वर्णवी छे:"प्रदीप: सर्व विद्यानाम्" सकलशास्त्रमा प्रवेश करवा माटे व्याकरण ए प्रकाशक दीपक समान छ । 'व्याकरणात् पदसिदिः, पदसिद्धरर्थनिर्णयो भवति । अर्थात् तत्त्वज्ञानं, तस्वज्ञानात् परं श्रेयः' ॥१॥ व्याकरणथी पदनी सिद्धि थाय छे, पदनी सिद्धिथी अर्थनो निर्णय थाय छ; अर्थना निर्णयथी तत्त्वज्ञान थाय छे, अने तत्त्वज्ञानथी मोक्षथाय छ । __सर्वतोमुखी प्रतिभावान् सर्वाङ्गीण साहित्य सृष्टिना सर्जक-कलिकालसर्वज्ञ परमपूज्य आचार्यदेवेश श्रीहेमचन्द्रसूरि भगवन्ते पंचांगी परिपूर्ण 'श्रीसिद्धहेमशब्दानुशासन' नामना व्याकरणनी प्रौढ सरल अने सुन्दर रचना करी छ । भने तेना उपर सर्व अभ्यासकोना उपPage Navigation
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