Book Title: Hemchandrika Vyakaranam
Author(s): Vijaylavanyasuri
Publisher: Gyanopasak Samiti

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Page 9
________________ ( २ ) कार माटे लघुवृत्ति, मध्यमवृत्ति अने बृहवृत्तिनी रचना पण पोतेज करी छ। तदुपरान्त साक्षरगणने आनन्द उपजावे एवा शब्दमहार्णवन्यासनी अजोड रचना पण एज महर्षिनी छ । ...... आपना करकमलमां आवतुं 'श्रीहेमचन्द्रिका ब्याकरण' पण 'सिद्धहेमशब्दानुशासन' ना आधारेज रचायेलु छ । न्हाना अने सर्वांगसुन्दर आ व्याकरणनी रचना माटे रचयिता महर्षिने स्वशिष्यादि अने अन्य सुधीजनो विनंति करेली अने प्रान्ते गुरुभक्त पू० मुनिराजश्रीमनोहरविजयजी म. श्री नी विनंतिथी श्रीहेमचन्द्रिका व्याकरणनो शब्ददेह तैयार थयो छे। स्व. परमविद्वान् परमपूज्य उपाध्यायजीमहाराजश्रीमेघविजयजी गणिवर विरचित हेमशब्दचन्द्रिका व्याकरण शब्दसंक्षेप होवाथी विद्वद्भोग्यज गणाय बने सामान्य बुद्धिना विद्यार्थीमो माटे तो दुरधिगम्य गणाय । आ कारणथी हेमशब्दचन्द्रिकाना क्रमने लक्षमा राखी विशेष उपयोगी अनेक विषयो नो समावेश करी शम्दनी उदारता

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