Book Title: Heer Saubhagya Mahakavyam
Author(s): Devvimal Gani, Shivdatta Pandit, Kashinath Sharma
Publisher: Kalandri Jain S M Sangh
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ही र सौ भा ग्यम् :
संक्षिप्त परिचय
-गणिवर्यश्री यशोविजयजी कविवर श्री देवक्मिल गणीने प्रस्तुत महाकाव्य हीरसौभाग्यम् एवं उस पर पाण्डित्यपूर्ण व्याख्या ‘सुखावबोध' लिखकर, निःशङ्क, . ख्यातकीर्ति विद्वानोंकी पङ्क्ति में स्थान अर्जित किया है। उनके पारगामी बहुश्रुतत्व का स्पष्टतः प्रतिभासन कराती है प्रस्तुत कृति ।.. कृति का शीर्षक
जैसा कि नाम से सूचित है, हीर सौभाग्यम् जगद्गुरु श्री हीरविजयसूरि महाराज की जीवनी को स्वयं में समेटे हुए है । कृति का नाम 'हीरसौमाग्यम् ' श्री प्रतिष्ठा सोम कृत 'सोम सौभाग्यम् ' ( सोमसुन्दरसू रि महाराज की जीवनी जिस में उकेरी गई है) से सादृश्य रखता है । हो सकता है कि वह पूर्वकालीन ‘सोमसौभाग्यम् ' पर से रखा गया हो। __अंग्रेजी प्रस्तावना में डॉ. जी. वी. तगारी महोदयने दूसरा भी सूचितार्थ उक्त नाम से नीकाला है । उनके कथानानुसार, प्रत्येक सर्ग के अन्त में अपनी श्रद्धेय जननी सौभाग्यदेवी का स्मरण करने वाले ग्रन्थकार ने कृति का नाम इस रूप में रखकर माता को श्रद्धासुमन अर्पित किये हैं ।
रचना समय
मुनिराजश्री दर्शनविजयजी (त्रिपुटी) ने अपने ग्रन्थ 'पट्टावली समुच्चय' (खण्ड १) में प्रस्तुत ग्रन्थ का रचना समय . विक्रमीय