Book Title: Haimlaghuprakriya
Author(s): Vinayvijay
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 11
________________ संज्ञाधिकारः। अनवर्णा नामी ॥५॥ अवर्णवर्जिताश्चैते स्वरा द्वादश नामिनः॥ ... लूदन्ताः समानाः ॥६॥ लकारान्ता अकाराद्याःसमानाख्याः स्वरा दश१३ ए ऐ ओ औ सन्ध्य क्षरम् ॥ ७॥ सन्ध्यक्षराख्याश्चत्वार ए ऐ ओ औ इमे स्वराः॥ __अं अः अनुखारविसर्गों ॥ ८॥ अकारावेतयोर्मध्ये सुखोच्चारणहेतुकौ ॥ १४ ॥ कादिय॑ञ्जनम् ॥९॥ व्यञ्जनाख्यास्त्रयस्त्रिंशद्वर्णा हान्ताश्च कादयः॥ कखगघङ१चछजझञ२ टठडढण ३ तथदधन४ पफबभम ५ यरलवशषसह । पञ्चको वर्गः ॥ १०॥ मान्तेषु कादिवर्णेषु कचटतपसंज्ञकाः॥ १५ ॥ पञ्चभिः पञ्चभिर्वर्णैर्वर्गाः पञ्च प्रकीर्तिताः॥ अपञ्चमान्तस्थो धुट् ॥ ११ ॥ अवर्गपञ्चमान्तस्थास्ते चतुर्विंशति(टः ॥ १६ ॥ क ख ग घ । च छ ज झ ट ठ ड ढ । त थ द ध। प फ ब भ । श ष स ह ॥ आयद्वितीयशषसा अघोषाः ॥ १२॥ आद्यद्वितीया वर्गाणामघोषाः शषसा अपि । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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