Book Title: Haimanushasana Trikam
Author(s): Kalapurnasuri
Publisher: Mahavir Tattvagyan Pracharak Mandal

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Page 150
________________ 141 लिङ्गानुशासनम् / पुस्त्रीलिङ्गश्चतुर्दशेऽळे शकुनिरये च दुर्गतिः / दोर्मूले कक्ष आकरे गञ्जो भूरुहि बाणपिप्पलौ // 75 // नाभिः प्राप्यङ्गके प्रधिर्नेमौ वचन वलिगृहे कुटः / श्रोण्यौषध्योः कटो भ्रमो मोहे पिण्डो वृन्दगोलयोः // 76 // . भकनीनिकयोस्तारो, भेऽश्लेषहस्तश्रवणाः / कणः स्फुलिङ्गे लेशे च, वराटो रज्जुशस्त्रयोः // 77 // कुम्भः कलशे तरणिः, समुद्रार्कीशुयष्टिषु / भागधेयो राजदेये, मेरुजम्ब्वां सुदर्शनः // 78 // करेणुर्गजहस्तिन्योरल्याख्यापत्यतद्धितः / लाजवस्त्रदशौ भूम्नीहाद्याः प्रत्ययभेदतः // 79 // शुण्डिकचर्मप्रसेवको सल्लकमल्लकवृश्चिका अपि / शल्यकघुटिको पिपीलिक चुलुकहुडुक्कतुरुष्कतिन्दुकाः // 8 // शृगोऽथ लञ्चभुजशाटसटाः सृपाटः, कीटः किटस्फटघटा वरटः किलादः / चोटश्चपेटफटशुण्डगुडाः सशाणाः, स्युरिपर्णफणगर्तरथाजमोदाः // 81 // विधकूपकलम्बजित्यवर्धाः, सहचरमुद्रनालिकेरहाराः / . बहुकरकृसरौ कुठारशारौ, वल्लरशकरमसूत्कीलरालाः // 82 // पटोल; कम्बलो भल्लो, दंशो 'गण्डूषवेतसौ / लालसो रमसो वर्तिवितस्तिकुटयस्तृटिः // 8 //

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