Book Title: Gyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Author(s): Kiran Tondon
Publisher: Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar

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Page 2
________________ ग्रन्थ परिचय राजस्थान प्रदेश के राणौली ग्राम में जन्म लेने वाले महाकवि ज्ञानसागर बीसवीं शताब्दी के कवि हैं । दस अध्यायों में विभक्त इस शोधग्रन्धमें उनके त्याग, परोपकार, क्रियाशीलता आदि गुणों से सम्पन्न व्यक्तित्व पर प्रकाशपात करते हुए उनके छः संस्कृत काव्यग्रन्थों - जयोदय, वीरोदय, सुदर्शनोदय, श्रीसमुद्रदत्तचरित, दयोदयचम्पू एवं मुनिमनोरञ्जनशतकका साहित्यिक मूल्याङ्कन किया गया है। इस सन्दर्भ में इन काव्यग्रन्थों का सारांश, मूलस्रोत, काव्यविधा, पात्र, वर्मनकौशल, भावपक्ष, कलापक्ष आदि को प्रस्तत करने के पश्चात कवि का जीवनदर्शन भी प्रस्तुत करने के पश्चात् कवि का जीवनदर्शन भी प्रस्तुत किया गया है । अन्त में कवि को महाकवि और उनके काव्यग्रन्थों को संस्कृतसाहित्य में समुचित स्थान का अधिकार सिद्ध किया गया है । प्रस्तुत शोधग्रन्थ को पढ़ने वाले सुधी और सहृदय पाठकों को यह ज्ञात हो जाएगा कि आज भी अश्वघोष के समान हमारे कवि के रूप में ऐसे विद्वान् हैं जिनमें कवि और दार्शनिक का मिल-जुला रूप देखने को मिलता है; आज भी उपमा के प्रयोग में कुशल कालिदास, उत्प्रेक्षा के प्रयोग में कुशल बाणभट्ट एवं धनपाल के समान अनुप्रास के सुष्ठु और सरोपस्कारक प्रयोग में कुशल ज्ञानसागर जैसे कवि विद्यमान है;भारवि औरमाघद्वारा संस्थापित चित्रालङ्कारों की परम्परा आज भी ज्ञानसागर जैसे कवियों के द्वारा गतिशील है ; और आज भी ऐसे कवि हैं जो कालिदास, बाण, धनपाल आदि समान भावपक्ष और कलापत्र के मञ्जुल समन्वय को प्रस्तुत करने में समर्थ हैं। _इतना ही नहीं, शोधग्रन्थ के अन्त में दिए गए परिशिष्टों से पाठक यह भी जान लेंगे कि महाकवि ज्ञानसागर संस्कृत भाषा में विशुद्ध दार्शनिक काव्य कृतियों को रचने के साथ ही साथ हिन्दी भाषा में काव्यकृतियों, दार्शनिक कृतियों और उपदेशात्मक कृतियों की भी संरचना करने में कुशल थे । मुझे विश्वास है कि प्रस्तुत शोधग्रन्थ महाकवि ज्ञानसागरजी की पूरी जानकारी पाठकों को देने में समर्थ होगा।

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