Book Title: Gyanbindu Prakarana
Author(s): Yashovijay Upadhyay, Sukhlal Sanghavi
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 233
________________ १. ज्ञानबिन्दुगतानां पारिभाषिकशब्दानां सूची। १८.२९. व्यञ्जनावग्रह १०.१५,४५.३२. व्यवसाय १२.२२. सखण्ड ३३.३. व्यवहारतः सङ्ग्रह ३१.१,४८.२१. व्यवहारदृष्टि २६.११. | सच्चिदानन्दल २६.३२. व्यवहारवाद २५.२५. | सजातीयक्षण २३.४. व्यवहृतिनय ४८.१९. सञ्चितकर्म २६.१. व्यापारांश १५.४. सत्ता २६.१. व्यावहारिकदर्शन १८.१४. पारमार्थिक २४.२३. व्यावहारिकमेद २.२४. व्यावहारिक २४.२३. व्यावहारिकावग्रह १५.१२. | सत्त्व २४.३१. [श] पारमार्थिकसत्त्व २४.३२. शक्ति २४.३१. व्यावहारिकसत्त्व २५.१. शब्द ३२.१. प्रातिभासिकसत्त्व २५.४. शब्दार्थ : ८.१. सदद्वैत ३१.६. शाब्द . १६.१९,३०.२.३. सन्तान २३.१. शाब्दज्ञान १६.१३. समवाय १२.२७. शाब्दबोध ८.४,३३.३. समाधि (निर्विकल्पक) ३८.४. शाब्दबोधपरिकरीभूत ७.१७. समूहालम्बन ३८.१९,४७.९. शास्त्रभाषना सम्पूर्णबोध ३४.२२. शुद्धचैतन्य २.१९. सम्यक्त ११.३२,४८.१२. शुभप्रकृति ४.७. पौगलिकसम्यक्त ११.२३. शृङ्गग्राहिका ३९.३०. क्षायिकसम्यक्ष ११.२४. श्रुत ६.१४,९.४,१०.३,१६.९,३४.४; भावसम्यक्त १२.१. ४१.२०४५.३२. द्रव्यसम्यक्ष १२.२. ऐन्द्रियकश्रुत निसर्गाधिगमसम्यक्त १७.१. सामान्यश्रुत ८.३१. सम्यग्ज्ञान ४७.२९,४८.११. द्रव्यश्रुत ९.१८. सम्यग्ज्ञानक्रिया २२.१२. त्रिविधाक्षरधुत ९.२७. सम्यग्दर्शन ४७.२९. त्रिविधोपलब्धिरूपभावश्रुत १०.१. सम्परहर २४.९. शान्दज्ञानरूपश्रुत १६.२२:१०.३:१६.९; | सर्वघातिन् ३४.४,४१.२०,४५.३२. सर्वज्ञज्ञान २१.१८. श्रुतज्ञानोपयोग ६.२८. सर्वज्ञता ३८.२२. श्रुतनिश्रित ६.२७,३१.१३. सर्वज्ञव १३.२०,२२.१२,४०.१. श्रुतानुसारिख ६.१५. सर्वनयात्मक ३५.२८. श्रुतार्थापत्ति २९.२६. सर्वविषयत्व श्रुति २९.२६. सविकल्पक ३१.१. श्रुतोपयोग ६.२०१६.१६,३६.९. सविकल्पकज्ञानसामग्री ६.१५. श्रेणिप्रतिपत्ति ३.२६. सहकारिन् ३२.५. श्रोत्रज्ञान ४४.२४. | साकार ३४.३१. श्रोत्रदर्शन ४४.२४. साकारोपयोग ४३.२२. श्रोनेन्द्रियोपलब्धि साक्षिप्रत्यक्ष २.१५. साक्षिभास्य २८.७. षट्स्थान ८.२७. साद्यपर्यवसित ३६.२७,४७.२५. षोडशपदार्थ २१.२. सामग्री ५.१७. ३.२५. [प] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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