Book Title: Gyanbindu Prakarana
Author(s): Yashovijay Upadhyay, Sukhlal Sanghavi
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 239
________________ १३२ ५. ज्ञानबिन्दुटिप्पणगतानां पारिभाषिकशब्दानां सूची । चित्त [क] आरम्भ ९४.१८९५.८. चरणकरण ९१.२४. माहारादिसंज्ञा ७१.२२. चारित्र ६१.३३. [ई-औ] चारित्रादिगुण ६६.११. ईर्यापथ चालना ७३.२५. ८०.२८,८१.५,८२.३१. ई-प्रत्यय ८२.२४,११०.३१. ८०.६:८१.५. चित्तसन्तति ईश्वर ६०.१९. ११०.२४. चिन्तामय ७५.३२. ७४.२४. ईहापायादि चैत्यगृहकरणविधि ६८.१६. ७६.२१. उदयस्थान ६३.१. जरा १०८.१६. उपचार [नवविध] जाति १०८.१६. ११५.३१. उपयोगतः [मतिश्रुत] जीव ६०.१९११३.२७,११४.२. ७१.१६. जीवधात उपादान ९२.२३. १०८.१५. एकजीववाद ११२.३४. जीवन्मुक्त ११२.१९. एकशरीरैकजीववाद जीवपीडा ९६.१७. ११३.३३. एकस्थान ६४.११. जीवहिंसा ९३.२३. एकेन्द्रिय ७१.२२. ज्ञान १०२.२१,१०४.१९. ऐदम्पर्यार्थ ७५.५. [त-न] औत्पत्तिक्यादि ७०.२६. तवज्झाणाइ कुजा (तपोध्यानादि कुर्यात्) ७७.१३. औदायिक ६६.२६. तात्पर्य रूप ९८.१९. औपशामिक ६१.३१. तृष्णा १०८.१५. त्रिस्थानक ६४.१३. दान ७८.१०. कर्मन् दानप्रशंसानिषेध ७८.४. कर्मबन्ध ८१.३२,८३.८९५.१. दृष्टिसृष्टिवाद ११२.३४. कर्मोपचय ८०.३०,८१,११,२३,३०,८२.१९. देशघातिन् ६४.४. काय ८५.२१. देशघातिनी ६३.२८. कार्यकारणभाव द्रव्यश्रुत ६९.३३;७१.३२. केवल १०९.३. द्रव्यहिंसा ९०.१४. केवलज्ञानदर्शन द्वितीयापूर्वकरण केवलद्विक द्विस्थानक ६४.१२. क्रमोपयोग ६७.११. क्षपक श्रेणी ९३.२१. ध्वनिधर्म ११२.६. क्षयोपशम ६२.८. नट ६०.२९. क्षायिक ६१.३१. नामरूप १०८.१३. क्षायोपशमिकभाव ६६.२२,६७.४,२६. निच्छय (निश्चय) ९१.२१. [ग, घ] निर्णयप्रसिद्धि ७४.१४. गंथं चएज (ग्रन्थं त्यजेत् ) ७६.३०. निसर्ग १०६.१. गीतार्थ ९७.१६. नैरात्म्य १०९.३०. ९५.११. नैरात्म्यभावना ११०.१६. गोबलीवर्दन्याय १०६.४. [प] घातक ८३.१३,९२.३. ७४.१२. पदनिक्षेप ७४.१४. चक्षुरचक्षुर्दर्शन ११७.२४. पदविग्रह ७३.२३. चतुःस्थानक ६४.१४. | पदार्थ ७३.५,२१;७४.१४;७५.१. ११५.१२. ध्रवोदय गुप्ति पद [च-ज] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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