Book Title: Gurvavali
Author(s): Munisundarsuri
Publisher: Yashovijay Jain Pathshala

View full book text
Previous | Next

Page 120
________________ ॥श्रीः ॥ श्रीजैनयशोविजयग्रन्थमाला आ ग्रन्थमालामां प्रगट थयेला संस्कृतपुस्तको: (१) प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार आ पुस्तक न्यायनो एक अमूल्य ग्रन्थ छे, तथा जैन न्याय नी अन्दर प्रवेश करवामा तेमज पदार्थ- यथा तथ्य स्वरूप समजाववामां आ ग्रन्थ एक अद्भुत भोमियो छे. माटे न्यायनी शरुआत करनार दरेक अभ्यासाने अत्यन्त उपयोगी थाय ते. टला माटे ते सुन्दर ग्रन्थनी किंमत मात्र आना ८ राखवामां आवी छे. पोस्टेज जर्नु । (२) हैमलिङ्गानुशासन (अवचूरि सहित) आ पुस्तक श्री हेमचन्द्राचार्य विरचित छे, अने संस्कृत भाषाना अति कठिन शब्दोचें तेमज तेना लिंग सम्बन्धीनु ज्ञान, आ पुस्तक ना थोडा श्लोकोनुं अध्ययन करवाथी, स्वयमेव थइ जाय तेम छे. उपरान्त ते ग्रन्थनी रचना श्लोकमय होवाथी कंठाग्र करनारने सुगम थइ पडशे. एकंदर आ पुस्तक घणुं उमदा छे. छूटक किंमत आना ५ पोस्टेन जुईं. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 118 119 120 121 122